अभी तो चलने की शुरुवात है,
थकना मना है दोस्त,
चलना तो छोड़ नहीं सकते,
और तेज़ चलने की
ज़रूरत है ,
और दूर बहुत जाना है दोस्त
फ़ासले भी तय कर लेंगे ,
दोस्तों को साथ लेकर ,
बिना रिश्तों से दूर हुए ऐ दोस्त
भीड़ में तो सब चलते है ,
अकेले -अकेले तो सिर्फ़
शेर ही चला करते है,
दोस्ताना छोड़ना तो ,
फ़ितरत नहीं हमारी ,
गैरों को भी अपना बना लेते है दोस्त,
जो दिलों में बसते है,
उनकी परवाह भी है ,
और याद भी ,
और हमें मालूम है उन्हें बताने की,
ज़रूरत भी नहीं
क्योकि, उन्हे भी है हमारी
याद भी और परवाह भी
ऐ दोस्त
आपका ,
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