अभी तो चलने की शुरुवात है

अभी तो चलने की शुरुवात है, 
थकना मना है दोस्त,
चलना तो छोड़ नहीं सकते,
और तेज़ चलने की 
ज़रूरत है ,
और दूर बहुत जाना है दोस्त 

फ़ासले भी तय कर लेंगे ,
दोस्तों को साथ लेकर ,
बिना रिश्तों से दूर हुए ऐ दोस्त 
भीड़ में तो सब चलते है ,
अकेले -अकेले तो सिर्फ़ 
शेर ही चला करते है,
दोस्ताना छोड़ना तो ,
फ़ितरत नहीं हमारी ,
गैरों को भी अपना बना लेते है दोस्त,

जो दिलों में बसते है,
उनकी परवाह भी है ,
और याद भी ,
और हमें मालूम है उन्हें बताने की, 
ज़रूरत भी नहीं 
क्योकि, उन्हे भी है  हमारी  
याद भी और परवाह भी
ऐ दोस्त 















आपका ,
meranazriya.blogspot.com 
meranazriyablogspotcom.wordpress.com 

No comments:

Post a Comment

बदलाव..

रिसोर्ट मे विवाह...  नई सामाजिक बीमारी, कुछ समय पहले तक शहर के अंदर मैरिज हॉल मैं शादियाँ होने की परंपरा चली परंतु वह दौर भी अब समाप्ति की ओ...