बढ़ते चले जाओ

होते हैं अतीत की यादें ,
कुछ खट्टे,कुछ मीठे ,
यही तो ज़िंदगी है ,
मत रुको अये दोस्त ,
उन कड़वे यादों में खो कर,
बस बढ़ते चले जाओ मुस्कुराते हुए ,
अपनी मज़िल की ओर ,
मिल ही जाएगी मंजिल ,
विश्वास रखो ख़ुद में ,
बस सीखते जाओ ,
अपने अतीत से। 



 आपका ,
meranazriya.blogspot.com 




No comments:

Post a Comment

वो आंखें..

वो आंखें...  वो आंखों में,  चित्कार है कसक है,  घर छुटने का ग़म है पराया होने का मरम है डर भी है, खौफ भी है वापस ना आने का दर्द है अपनों से ...