सेल्फ़ी - एक नया जानलेवा क्रेज़ Selfie : A New Dangerous Craze

              परिवहन मंत्री श्री नितिन गडकरी आजकल टीवी पर सेल्फ़ी से  होने वाले मौतों का आकड़ा बता रहे है। कभी सोचा आपने मंत्री जी को ऐसा क्यों करना पड़ रहा है। भारत में सड़क दुर्घटना में होने वाले मौतों के बाद सर्वाधिक मौत यदि किसी बुरी आदत हो रही है, तो वो है सेल्फ़ी। "सेल्फ़ी" जैसा की नाम से मालूम चलता है स्वयं की फोटो खुद से लेना। आजकल आये दिन टीवी और अखबारों. में ये देखने और सुनने को  मिलता है कि सेल्फ़ी लेने के चक्कर में जान गयी।
             छोटे से लेकर बड़ो तक इसके शिकार हो रहे है। सबसे ज्यादा शिकार इसके किशोर अवस्था के बच्चे हो रहे है। ये समस्या एक विकराल रूप लेती जा रही है। हर दिन कही ना कही से ये सेल्फ़ी से मौत की खबर आती रहती है। एक रिसर्च में ये सामने आया है कि पूरी दुनिया में सेल्फ़ी से होने वाले मौतों में सबसे ज्यादा 75%  मौत भारत में हो रही है। बेहद गंभीर हो चुकी इस समस्या का एक इलाज़ है वो है सामूहिक जागरूकता। अपने बच्चों को इससे होने वाले  खौफनाक परिणाम की जानकारी देते रहिये। और हमेशा उनको गाइड करते रहे। 


      जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों को सहेज कर रखना सही बात है , पर अपनी जान की कीमत पर नहीं। तेज़ चलती हुए ट्रेन के सामने से खुद की फ़ोटो निकाल कर कौन सा रोमांच हासिल करना चाहते है लोग , ट्रेन की छत पर खड़े होकर 25000 वोल्ट तारों के बिच फ़ोटो निकालकर क्या साबित करना चाहते है, तैरती हुई नाव पर बिच नदी में असुरक्षित फोटो निकालना कहाँ की समझदारी है , किसी ऊँची बिल्डिंग या पहाड़ की चोटी से ख़ुद की फ़ोटो ख़ुद से निकालना कहाँ तक जायज़ है,जंगली जानवरो के साथ फ़ोटो लेना ये कौन सी दिलेरी है ,चलती हुई बाइक,कार और बसों से सेल्फ़ी लेना सीधे मौत को दावत देने के बराबर है। ये वो उदाहरण है जिसमें आपने कभी ना कभी टीवी या अखबारों में होने वाले मौत की जानकारी सुनी या पढ़ी होगी। 
       जबसे भारत में स्मार्ट फ़ोन का चलन बढ़ा है , सेल्फी से होने वाले मौत के आकड़ो में बेतहाशा वृद्धि हुई है। हर छोटी से छोटी बात कैमरे में कैद हो जानी चाहिए। सोशल मिडिया पर लाइक ,शेयर ,कमेंट का चलन जिस तरह बढ़ा है,इसी का ये दुष्परिणाम अब देखने को मिल रहा है।  वैसे भी हम भारतीय सड़को पर नियम कितना फॉलो करते है ये किसी से छुपी हुई बात नहीं। और ऊपर से कान में हेड फ़ोन ,हाथ मोबाइल के स्क्रीन पर और दिमाग़ कहीं और। भारतीय सड़कों पर ऐसी स्थिति में चलने का परिणाम क्या होगा ये बताने की जरुरत नहीं है। 
         हर दुर्घटना के सरकार और सरकारी तंत्र को दोषी ठहराना ठीक नहीं है हम सबको भी अपनी ज़िम्मेदारी समझनी होगी। हमें भी सरकार द्वारा बनाये हुए नियमों का पालन सख्ती से करना होगा। दुर्घटना से बचने के लिए सामूहिक ज़िम्मेदारी लेनी होगी तभी जाकर इनसे होने वाले मौतों को काम किया जा सकता है।




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