इस पूरी कहानी ने मुझे इतना जरूर सिखा दिया कि आप चाहें कितने भी मार्डन हो जाये, जानकार हो जाये, डिजिटल हो जाये, पर काम हमेशा देसी भारतीय स्टाइल में ही होगा। भारत सरकार को भी इस बात को समझ लेना चाहिए कि आपने सब कुछ आसान करने के चक्कर में लोगों को उलझा भी दिया है। सुप्रीम कोर्ट बोलता आधार अनिवार्य नहीं है पर जमीनी हकीकत ये है कि बिना आधार आपका कोई भी नहीं होगा। अंगुलियों के निशान और ओ टी पी के चक्कर में लोगों को राशन नहीं मिल रहा है। इंटरनेट की गति धीमी होने से गांव में किसानों को यूरीया भी नहीं मिल पा रहा है। गांव के बुज़ुर्ग महिलाओ और पुरुषों के लिए तो ये डिजिटल दुनिया आफत बनकर आया है , वो बैंको में जमा अपने पैसा को नहीं निकाल पा रहे है क्योंकि उनकी उंगलिया घिस गई है और सिस्टम उनको स्कैन नहीं कर पा है। सरकार कैशलेस का ख्वाब देख रही है और दुकानदार सरचार्ज की वजह से कार्ड के प्रयोग से आम लोगों से ज्यादा पैसे ले रहे हैं। छोटे दुकानदारों के लिए GST एक सिरदर्द के अलावा और कुछ भी नहीं है। GST फाइल करने के लिए CA को अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा देना पड़ रहा है जबकि सरकार के पास बहुत कम पैसा जा रहा है। किसान बिमा योजना का लाभ बड़े और दबंग टाइप के किसान उठा ले रहे है और वो भी बिना फसल ख़राब हुए। और छोटे किसान मुँह देखते रह जा रहे है।
सरकार की सारी नीतियां अच्छी होते हुए भी अच्छे परिणाम नहीं आ रहे हैं। इसका कारण सिर्फ ये है कि सारी नीतियां इस आधार पर बनी है कि भारत की सभी जनता डिजिटल साक्षर है । पर हक़ीक़त ठीक इससे उलट है। आपने मान लिया है कि भारत का हर आदमी मोबाइल को अच्छे से समझ गया पर हक़ीक़त ऐसा नहीं है । आज जमीनी हकीकत ये है कि 40 साल से ऊपर के व्यक्ति ओ टी पी, पासवर्ड, मोबाइल बैंकिंग से डरता है, ठीक से मोबाइल भी आपरेट नहीं कर सकता है। अगर विश्वास ना हो तो अपने घरों में माता-पिता से बात करके, आप चेक कर लिजिए। जब शहर का एक जानकार आदमी एक मोबाइल खरीदने के चक्कर में इतना परेशान हो सकता तो गांव में जहां डिजिटल साक्षरता भी बहुत कम है, वहां कैसे लोगों को मूर्ख बनाकर पैसे ऐंठे जाते होंगे। यही सच्चाई है सरकार की नीतियां गलत नहीं है पर जमीनी हकीकत इससे बहुत अलग है। मुझे बता है एकदम से सब ठीक-ठाक नहीं होगा पर इस चक्कर में यदि आपकी सरकार चली जाये तो ये कहीं से भी देश के हित में नहीं होगा। डिजिटल साक्षरता की दिशा में कुछ ठोस कदम उठाने होंगे, तब जाकर ही सही मायने में विकास और विश्वास दोनों हासिल होगा।
मेरा नज़रिया