चौकीदार उवाच

'अब अन्नदाता बनेगा ऊर्जादाता' - कब?

'अब खेतों में फसलों के अलावा बिजली भी पैदा होगा' - कैसे?

'अपनी जरूरतें पूरी करने के बाद किसान बिजली बेच भी सकेगा' - ओके

'बीज से बाजार तक व्यवस्था में सुधार' - कब?

'बिजली पंप नहीं अब सोलर पंप' - कब से?

'हरित क्रांति के बाद अब सफेद व नीली क्रांति से आगे मीठी क्रांति की ओर बढ़ता क़दम'- बाप रे बाप इतनी क्रांति हो गई

'खेती मे कोई भी चीज निकम्मी नहीं होती' - बिल्कुल नई बात है सर

'कचरा से कंचन' - गज़ब का तुकबंदी है भाई

वाह .............जी वाह।

आपका,
मेरा नज़रिया

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बदलाव..

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