आज पूरा विश्व मित्रता दिवस मना रहा है। सुबह से तरह-तरह के मेसेज मोबाइल में घुम रहा है। कोई कृष्ण और सुदामा के मित्रता को याद कर रहा है, कोई स्कूल के दिनों के दोस्तों को याद करते हुए और सोशल मीडिया को खंगाल रहा है, तो कोई अपने सबसे बड़े कमीने को दोस्त को याद कर रहा है, कोई उस दोस्त को याद कर रहा है जिसने लाइफ में कभी कोई टेंशन नहीं लिया और आज भी वैसे ही मस्त जिंदगी के मज़े ले रहा है, कल स्कूलों में बच्चों ने फ्रेंडशिप रिबन बांध कर अपनी दोस्ती साबित करने में लग जायेंगे जो आज संडे की वजह से नहीं हो पाया।
"दोस्ती", "मित्रता" ये सिर्फ शब्द नहीं है। ये जीवन की लाइफ लाइन है। कभी गौर से सोचों सबसे ज्यादा खुश आप कब रहते हो? जो बातें शायद सबके साथ शेयर ना करें , कोई तो होता ही है जिसे सब बता देने का मन करता है। जिसके साथ होने से चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहता है। कभी किसी की परवाह किए बिना एक दूसरे का सहारा बन जाने की कला एक दोस्त के अलावा कौन जानता है।
शायद यही वजह है कि रिश्ता कोई भी उस रिश्ते को दोस्ती में बदलने की बात की जाती है। क्योंकि एक दोस्ती ही ऐसा रिश्ता है जिसमें कोई स्वार्थ नहीं होता है।
आपका,
मेरा नज़रिया
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