99% बस!!

90% के ऊपर लाने बच्चों का सम्मान समारोह आयोजित करने वाले सामाजिक संगठनों के लिए मेरा खुला पत्र :

सर I'm sorry to say, मैं इस सम्मान समारोह के खिलाफ हूं। अनजाने में ही सही हम एक समाज के तौर पर अपने बच्चों में एक अनचाहा प्रेशर पैदा कर रहे हैं। और इस प्रेशर का असर क्या होता है, हममें से छुपा नहीं है।
कितना प्रेशर है बच्चों में ज़रा सोच के देखिए। दस साल के बच्चों में स्कूल लेवल में इतना प्रेशर? सबको सब कुछ सिखा देने की जल्दी है , आखिर क्यों?

अच्छे पर्सेंटेज वाले बच्चों को प्रोत्साहित करना अच्छी बात है। पर कम पर्सेंटेज वाले बच्चों को हतोत्साहित करना खतरनाक है। एक बार सोच के देखिए यदि सारे बच्चे 90% के उपर आ जाए। फिर क्या होगा? तो क्या सफलता की गारंटी 90% लाना ही है। यदि ऐसा ही तो देश के 70 फीसदी बच्चों का क्या?

मेरे हिसाब से हमें एक समाज के तौर हमें उन बच्चों के बारे सोचना चाहिए जिनके पर्सेंटेज कम है। क्या कमी है इन बच्चों की शिक्षा प्रणाली में इसका विष्लेषण किया जाए। फेल होने की स्थिति में डिप्रेशन के बजाए , कैसे सुधार किया जाए, इन सब बातों पर ध्यान दिया जाए। जो बच्चे तेजी से बाउंस बैक करते हैं उन्हें सम्मानित किया जाए।

ये पुर्णतया मेरे विचार है, यदि किसी को मेरे इस बात ठेस पहुंचती है, इसके लिए मुझे क्षमा करें।

मेरे सोच से मिलता - जुलता RJ नावेद का एक विडियो का लिंक साझा कर रहा हूं।

https://www.facebook.com/225430477471251/posts/3710538702293727/

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बदलाव..

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