मंदी - छिनता हुआ रोजगार

      आज देश में रोजगार की हालत ऐसी है कि आए दिन कोई न कोई शख्स अपने नौकरी से हाथ धो रहा है। इधर सरकार की तरफ से रोजगार सृजन को लेकर ऐसा कुछ नहीं किया जा रहा है जिस पर बात किया जा सकें। अकेले आटोमोबाइल सेक्टर में अब तक लाखों नौकरियों जा चुकी है और ना जाने कितने जाने वाली है। आटोमोबाइल से जुड़ा हुआ स्टील उद्योग बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। अचानक देश में ऐसे हालात क्यों बन रहें हैं कि जो कंपनीयां हमारे देश की नवरत्न कही जाती थी वो सब कंपनियों में घाटा का दौर शुरू हो गया है। इंडियन आयल कारपोरेशन लिमिटेड, एनटीपीसी, भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड, एचपीसीएल, ओएनजीसी इत्यादि कंपनियों में घाटा रिकॉर्ड किया गया है। अब सरकार इन कंपनियों को मर्ज करके और कुछ भाग बेचकर पैसा कमाने की संभावनाओं पर विचार कर रही है। सरकार को इस दिशा में गंभीर चिंतन करने की जरूरत है।
       एक आम आदमी के लिए विकास के क्या मायने हैं , ज़रा गंभीरता से सोचने की जरूरत है।

संगीत समाज-जमशेदपुर

नमस्कार...
स्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर, इस पावन बेला में उपस्थित हमारे प्लांट हेड श्री विशाल बादशाह सर, संगीत समाज के चेयरमैन श्री दीपक कुमार जी, सेक्रेटरी श्री पार्थो मुखोपाध्याय जी, ट्रेजरर श्री मुकेश पाण्डेय जी,समस्त अतिथि,अभिभावकगण एवं होनहार बच्चों, संगीत समाज के प्रांगण में आप सभी हार्दिक स्वागत है।

   कार्यक्रम आरंभ करने के पूर्व आप सबको संगीत समाज के बारे में अतीत से वर्तमान तक कुछ मुख्य बातें बताना चाहता हूं।

      सर्वप्रथम स्वर्गीय पं आनंद चंद्र चौधरी जी 26 जनवरी 1958 में अपने निवास 51 G रोड में संगीत के प्रचार प्रसार हेतु एक संगीत विद्यालय की स्थापना की।जिसका नाम पंडित जी ने संगीत समाज रखा।
  Mrs. & Mr. V S Kulkarni जी के प्रयास, Mr G K Mulgaokar जी के अनुकंपा से 15 अगस्त 1961 में श्री V S Kulkarni  जी करकमलों से संगीत समाज की नींव डाली गई। 9 दिसंबर 1962 में संगीत समाज भवन का उद्घघाटन भव्य संगीत समारोह से किया गया।

  समय-समय  पर Tata Motors  के वरिष्ठ अधिकारी संगीत समाज के पद पर जुड़ते गए और अपने स्तर पर संगीत समाज का उत्थान करते गए।

   प्रारंभ से अबतक का संगीत समाज के चेयरमैन का सिलसिला इस प्रकार है:
Mr N C N C Marathe, Mr V R Kulkarni, Mr K V Ramana, Mr P P phedke, Mr R K Thakur,Mr G G Debgoswami, Mr Binod Kumar, Mr Mohan Singh, Mr Pramod Kumar, Mr deepak Kumar (till now).

       संगीत समाज में सिखाई जाने वाले विषय इस प्रकार है:
वोकल, तबला, सिन्थेसाइजर, गिटार, वूगी-वूगी डांस, कला और पेंटिंग इत्यादि।

   संगीत समाज के गुणवान गुरुओं के बिना संगीत समाज बनाने का उद्देश्य संभव नहीं है।विद्यालय के सभी गुरुजनों का दिल से शुक्रिया, जिनके अथक प्रयास से आज भी संगीत समाज की एक अलग पहचान है।

    हम सबके लिए 15 अगस्त का दिन दोहरी खुशी लेकर आता है। एक हमारे देश का राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस और दूसरा आज ही के दिन हमारे संगीत समाज का शिलान्यास हुआ था। आइए इस दिन को और यादगार बनाते हैं और अपने पूर्वजों सपनों को पूरा करने में भागीदार बनने का प्रयास करते हैं।

  आज के कार्यक्रम के लिए जिन बच्चे-बच्चियों ने भाग लिया है उन सभी शुभकामनाएं। अच्छे से परफार्म करें और खुब इन्ज्वाए करें।

मोहब्बत का दूसरा नाम है मेरा देश,
अनेकों में एकता का प्रतीक है मेरा देश,
चंद गैरों की सुनना मुझे गँवारा नहीं,
हिंदू हो या मुस्लिम सभी का प्यारा है मेरा देश।

कुछ नशा तिरंगे की आन का है, कुछ नशा मातृभूमि की मान का है, हम लहराएंगे हर जगह इस तिरंगे को, हम लहराएंगे हर जगह इस तिरंगे को, ऐसा नशा ही कुछ हिंदुस्तान की शान का हैं||
आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

एक बार सब मेरे साथ जोर से नारा लगायेंगे :
भारत माता की जय।
वंदे.....मातरम्।।
जय हिन्द, जय भारत।।



आपका ,
मेरा नज़रिया 

विश्व मित्रता दिवस

    आज पूरा विश्व मित्रता दिवस मना रहा है। सुबह से तरह-तरह के मेसेज मोबाइल में घुम रहा है। कोई कृष्ण और सुदामा के मित्रता को याद कर रहा है, कोई स्कूल के दिनों के दोस्तों को याद करते हुए और सोशल मीडिया को खंगाल रहा है, तो कोई अपने सबसे बड़े कमीने को दोस्त को याद कर रहा है, कोई उस दोस्त को याद कर रहा है जिसने लाइफ में कभी कोई टेंशन  नहीं लिया और आज भी वैसे ही मस्त जिंदगी के मज़े ले रहा है, कल स्कूलों में बच्चों ने फ्रेंडशिप रिबन बांध कर अपनी दोस्ती साबित करने में लग जायेंगे जो आज संडे की वजह से नहीं हो पाया।
  "दोस्ती", "मित्रता"  ये सिर्फ शब्द नहीं है। ये जीवन की लाइफ लाइन है। कभी गौर से सोचों सबसे ज्यादा खुश आप कब रहते हो? जो बातें शायद सबके साथ शेयर ना करें , कोई तो होता ही है जिसे सब बता देने का मन करता है। जिसके साथ होने से चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहता है। कभी किसी की परवाह किए बिना एक दूसरे का सहारा बन जाने की कला एक दोस्त के अलावा कौन जानता है।
      शायद यही वजह है कि रिश्ता कोई भी उस रिश्ते को दोस्ती में बदलने की बात की जाती है। क्योंकि एक दोस्ती ही ऐसा रिश्ता है जिसमें कोई स्वार्थ नहीं होता है।

आपका,
मेरा नज़रिया

मंदी

देश एक भयानक मंदी के दौर से गुज़र रहा है। रोज़ाना ना जाने कितने की नौकरी जा रही है । उतना ही भयानक मेन स्ट्रीम मीडिया की इस मुद्दे पर चुप्पी है। आटोमोबाइल सेक्टर अब तक की ऐतिहासिक मंदी के चपेटे में है। स्टील और दूसरे मैनुफैक्चरिंग सेक्टर का भी यही हाल है। सरकार सब कुछ बहुत जल्दी चाहिए, शायद यह उसी जल्दबाजी की असर है। थोड़ा संभलकर चलने की जरूरत है , ऐसा मुझे लगता है।

आपका,
मेरा नज़रिया

रवीश कुमार - मैग्गसे सम्मान

बहुत उम्दा। हार्दिक बधाई और अनंत शुभकामनाएं।।

ऐसा लग रहा है पत्रकारिता पूरे रौं में जीत को महसूस करते हुए आगे बढ़ती जा रही है और पत्रकारिता की हत्या करने वाले अनगिनत पत्रकार गर्दन झुकाएं , मारे शर्म के नज़रें छुपाए चुल्लू भर पानी की तलाश में हैं , मर जाने के लिए।
आज उन बिके हुए पत्रकारों को कुछ सूझ नहीं रहा होगा, कुछ तो बेचैन होंगे जिनमें थोड़ी बहुत नैतिकता और अपने प्रोफेशन के लिए प्यार होगा। उन्हें ऐसा लग रहा होगा जैसा दरबारी को दुत्कारने के बाद भी मुस्कुराना पड़ता है।
अगर आज रवीश कुमार को सम्मान मिला है तो वो इसका हक़दार है। उसने कभी अपने प्रोफेशन से खिलवाड़ नहीं किया और आज भी सरकार के सामने कड़वे सवाल लेकर खड़ा है। है दम आज के अग्रिम पंक्ति के किसी भी पत्रकार में जो सरकार से तिखा सवाल करे? सत्ताधारी नेताओं के सामने मिमियानें के अलावा कुछ सूझता ही नहीं है। वो दिन दूर नहीं जब यही सत्ताधारी लोग इन बिके हुए बेईमान पत्रकारों को गली के कुत्तों की तरह फटकार लगायेंगे और ये पत्रकार फिर भी लार टपकाते हुए इनके आसपास फिर भी मंडराते रहेंगे। तब शायद इन्हें एहसास हो कि इन्होंने पत्रकारिता का क्या हश्र किया है।
अगर थोड़ी सी भी नैतिकता बचा हो और अपने भविष्य में अपने आप के लिए थोड़ा सा भी सम्मान चाहते हो तो मैं उन सभी अग्रिम पंक्ति से पत्रकारों से आग्रह करता हूं कि "बन जाओ रवीश कुमार" , बचा लो अपने प्रोफेशन को , कड़े और तीखे सवाल सरकार से करना शुरू कर दीजिए। बहुत रिसर्च करना होगा, बहुत कुछ सहना होगा , बहुत बड़ा कलेजा चाहिए तब जाकर आप कर पायेंगे।

पत्रकारिता का एक मात्र सितारा श्री रवीश कुमार। ऐसे ही जगमगाते रहें। एक बार फिर से हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।।

आपका,
मेरा नज़रिया

बदलाव..

रिसोर्ट मे विवाह...  नई सामाजिक बीमारी, कुछ समय पहले तक शहर के अंदर मैरिज हॉल मैं शादियाँ होने की परंपरा चली परंतु वह दौर भी अब समाप्ति की ओ...