बहुत उम्दा। हार्दिक बधाई और अनंत शुभकामनाएं।।
ऐसा लग रहा है पत्रकारिता पूरे रौं में जीत को महसूस करते हुए आगे बढ़ती जा रही है और पत्रकारिता की हत्या करने वाले अनगिनत पत्रकार गर्दन झुकाएं , मारे शर्म के नज़रें छुपाए चुल्लू भर पानी की तलाश में हैं , मर जाने के लिए।
आज उन बिके हुए पत्रकारों को कुछ सूझ नहीं रहा होगा, कुछ तो बेचैन होंगे जिनमें थोड़ी बहुत नैतिकता और अपने प्रोफेशन के लिए प्यार होगा। उन्हें ऐसा लग रहा होगा जैसा दरबारी को दुत्कारने के बाद भी मुस्कुराना पड़ता है।
अगर आज रवीश कुमार को सम्मान मिला है तो वो इसका हक़दार है। उसने कभी अपने प्रोफेशन से खिलवाड़ नहीं किया और आज भी सरकार के सामने कड़वे सवाल लेकर खड़ा है। है दम आज के अग्रिम पंक्ति के किसी भी पत्रकार में जो सरकार से तिखा सवाल करे? सत्ताधारी नेताओं के सामने मिमियानें के अलावा कुछ सूझता ही नहीं है। वो दिन दूर नहीं जब यही सत्ताधारी लोग इन बिके हुए बेईमान पत्रकारों को गली के कुत्तों की तरह फटकार लगायेंगे और ये पत्रकार फिर भी लार टपकाते हुए इनके आसपास फिर भी मंडराते रहेंगे। तब शायद इन्हें एहसास हो कि इन्होंने पत्रकारिता का क्या हश्र किया है।
अगर थोड़ी सी भी नैतिकता बचा हो और अपने भविष्य में अपने आप के लिए थोड़ा सा भी सम्मान चाहते हो तो मैं उन सभी अग्रिम पंक्ति से पत्रकारों से आग्रह करता हूं कि "बन जाओ रवीश कुमार" , बचा लो अपने प्रोफेशन को , कड़े और तीखे सवाल सरकार से करना शुरू कर दीजिए। बहुत रिसर्च करना होगा, बहुत कुछ सहना होगा , बहुत बड़ा कलेजा चाहिए तब जाकर आप कर पायेंगे।
पत्रकारिता का एक मात्र सितारा श्री रवीश कुमार। ऐसे ही जगमगाते रहें। एक बार फिर से हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।।
आपका,
मेरा नज़रिया
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