आओ आज उनके साथ खेले

अनाथालय में जाने के बाद मन आये कुछ विचार आपसे शेयर करना चाहते है। आज के इस भागम -भाग भरी जीवन में आत्मिक शुकुन के कुछ पल तलाशने के लिए मैंने ये जगह चुना। इन बच्चो से मिलने के बाद मन काफी द्रवित हो गया , और मन में आया क्यों ना इनके लिए कुछ किया जाए जो इनके चेहरे पर मुस्कान ले आये। इन्हें ख़ुशी देने के लिए मैंने अपनी बेटी का प्रथम जन्मदिन इनके साथ मनाने का निर्णय लिया। आज से तीन दिन बाद यांनी 15 दिसंबर को मेरी बेटी का जन्मदिन है। इस दिन मै पुरे परिवार के साथ इन अनाथ बच्चो के साथ समय बिताएंगे और इन बच्चों के चेहरे पे ख़ुशी के दो पल लाने का प्रयास करेंगे। प्रस्तुत कविता इन बच्चों को समर्पित है।

आओ आज उनके साथ खेले ,
थोड़ा उनके चेहरे मुस्कान बिखेरे ,
हर रोज़ तो खेलते हैं खुद से ,
आओ हम भी इनके साथ हो ले ,

कभी -कभी तो सोचते होंगे ये बच्चे ,
कैसे होते हैं माँ -बाप ,
आओ इन्हें एहसास कराये ,
कुछ खिलाये और कुछ पिलाये ,
और जमकर मजे कराये ,

होंगी कुछ मज़बूरियाँ इनके माँ -बाप की,
ऐसे ही नहीं कोई छोड़ देता ,
कैसे जियेंगे ये,कुछ तो सोचा होगा ,
आओ इनके जीवन में कुछ रंग भर आये ,

बहुत खुश होंगे ये बच्चे अपने बिच पाकर हमें ,
हमें भी इतना ही ख़ुशी होगा ,इनके बिच होकर ,
चलो इस ख़ुशी को मिलकर दूना कर आये  ,
आओ आज थोड़ा खेले , थोड़ा मजे कराये ,

आपका ,
मेरा नज़रिया


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