गुजरात में उत्तर भारतीयों पर हमला-एक प्रतिक्रिया

अतुल बाबू द्वारा दिए वक्तव्य पर मेरी प्रतिक्रिया

एक तरफा हकीकत बा अतुल बाबू,
जो
जे आपन घर-बार छोड़ के दिल्ली, मुंबई , गुजरात और चेन्नई में काम कर..ता , ओकरा कंपनी खोले के हैसियत ना होला।
केतना लोग कंपनी खोली और के - के नौकरी देई ऊ। तोहरा के जमीनी हकीकत मालूम होखे के चाही अतुल बाबू।
पूरा देश के हर कोना में हमनी UP और बिहार के लोग जाइल जाई , जरूरत के हिसाब से नौकरी भी कईल जाई और नौकरी देहल भी जाई। केहू के बपौती ना ह गुजरात, मुंबई, चेन्नई , दिल्ली।
रहल बात हमनी UP, Bihar में राजनीतिक हालात के , सबके मालूम ही बा केतना होनहार लोग राज करत आ रहल बा पिछला कई सालों से। उद्दोग , कल कारखाना खोले खातिर राजनीतिक इच्छाशक्ति चाही। सब त जाति - धर्म में बरगालावता ,सब ओ..ही में घुम्मता । आज पूरा मेट्रो शहरों-कस्बों का लाइफ लाइन हई हमनी UP -Bihar के लोग। एकरा कौनो सबुत का ज़रूरत नइखे आज।
आज जवन गुजरात में होता, दु:खद बा , एंकर इ मतलब ना भइल की हमनी के केहु के रहमो करम पे बानी जा। योग्यता बा और जागरूकता बा तब जा इहा टिकल बानी जा।
कुल मिलाकर इहे कहब अपना योग्यता के दम पर हम हर जगह (पूरे भारत ही नहीं पूरे विश्व भर में) काम करेंगे भी और काम देंगे।

आपका,
मेरा नज़रीया

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