नि:संदेह सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा पूरे विश्व में ना केवल अपनी ऊंचाई के लिए जाना जाएगा अपितु सरदार पटेल के ऊंचे विचारों से भी लोगों को अवगत करायेगा। यहां तक ठीक है । पर क्या सही में सरकार की नियत सरदार पटेल की मूर्ति और विचारों को माध्यम बनाकर प्रतिको राजनीति में नहीं है? यदि ऐसा नहीं होता तो,भारत के हर कोने से आये लोग आज नर्मदा के किनारे जय जयकार लगा रहे होते।
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देहावसान.... एक सच
पुरे हफ्ते की आपाधापी के बाद रविवार का दिन इस आशा के साथ कि दिनभर आराम करूँगा। सावन का महीना चल रहा है। लगातार बारीश से पुरा शहर अस्त व्यस्त...
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वो आंखें... वो आंखों में, चित्कार है कसक है, घर छुटने का ग़म है पराया होने का मरम है डर भी है, खौफ भी है वापस ना आने का दर्द है अपनों से ...
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क्षितिज, जल, पावक, गगन, समीर ये पंचतत्व से शरीर है इसी पंचतत्व की पूजा है (पानी मे रहकर आकाश की तरफ गर्दन किये हुए हाथ मे दीपक लेकर खुले ह...
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