ये कैसी दौड़ है,
जहां सिर्फ भाग रहे हैं सब,
क्या पाना है, क्यों पाना है,
क्या जाना है सब?
ये अंध दौड़,
कहां ले जाएगी,
क्या किसी ने सोचा है?
बस भाग रहे- बस भाग रहे,
भागम भाग मचा रहे,
एक बार ठहर जा,
थोड़ा रुक कर,
पुछ ना इंसान खुद से,
कितने तो छुट गये,
और कितनों को छोड़ेगा तू?
क्या यही पाने के लिए,
दौड़ रहा तू?
ज़रा गौर से देख,
कहां निकल गया है तू,
कहीं तू अकेला ही तो
नहीं खड़ा है मंजिल पे,
खुश तो बहुत होगा,
पर खुशियां बांट ना सकेगा तू,
तू जब मंजिल पर होगा,
तूझे याद आयेंगे वो लोग,
जिनको तुमने,
छोड़ दिया था बीच राह,
ये वही लोग थे ,
जिनके साथ होने से,
खुश बहुत रहता था,
तू सोच रहा होगा
क्यो दौड़ रहा था अब तक,
अब पछता रहा होगा,
क्यो दौड़ रहा था अब तक,
आपका,
मेरा नज़रिया
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