समाज की एक कड़वी सच्चाई ये है कि किसी के पास बहुत पैसा है तो किसी के पास अभाव की पराकाष्ठा। ये एक-एक दिन को बस काटते हैं । इनकी अपनी कोई इच्छा नहीं है बस किसी तरह खाने का जुगाड़ हो जाए बस इसी के लिए हाड़तोड़ मेहनत करते हैं। इन्होंने गरीबी को अपना तकदीर मान लिया है। कर्ज में जन्म लेते हैं और कर्ज में ही मर जाते हैं।और फिर इनके बच्चों के साथ वही स्थिति दोहराई जाती है। कौन सुध लेगा इनके बच्चों का ? सरकारें बड़ी-बड़ी बातें तो बहुत करती हैं पर क्या हकीकत में इनके जीवन स्तर में सुधार हुआ है? इन्हें तो अपने अधिकारों की भी जानकारी नहीं है , कैसे किसी से अपना हक़ मांगे ? और कौन सुनेगा इन गरीब परिवारों की परेशानियों को। बहुत सारी स्वयं सेवी संस्थाएं इनके जीवन स्तर को सुधारने के लिए प्रयासरत और वो बधाई के पात्र हैं। ऐसे ही एक संस्था जमशेदपुर में कार्यरत हैं जिसका नाम है "Voice of humanity (VOH). मुझे भी इस टीम के साथ कार्य करने का मौका मिला । और मैंने अपने स्वभाव के अनुरूप इन गरीब परिवारों के बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा उठाया है। इन बच्चों के साथ VOH की टीम मिशन साक्षरता का एक कार्यक्रम चला रही है जिसमें हमारा Contribution एक शिक्षक के रूप बच्चों को ट्यूशन देने का है। मिशन सााक्षरता पूर्णतया फ्री सेवा है जिसमें कोई भी व्यक्ति स्वेच्क्षा से अपनी सेवा दे सकता है। ये वो बच्चे हैं जिनके बारे में बहुत कम लोग ही सोचते हैं। मेरा नज़रीया ये है कि शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जो आपके जीवन स्तर को सुधार सकती है। इसीलिए मैंने इन बच्चों के शिक्षा में अपनी भागीदारी को सुनिश्चित करने का फैसला किया है। समाज के भलाई के लिए मेरा हमेशा प्रयास रहेगा कैसे और लोग इस नेक काम में भागीदार बनें और अपनी सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वहन करें।
आपका,
मेरा नज़रीया
मेरा नज़रीया
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