स्वागत : मंच पर आसीन समाज के वरिष्ठ नेतागण और हमारे समाज से आए हुए सभी सम्मानित भाईयों और बहनों, मैं रवीन्द्र नाथ जायसवाल टेल्को से आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन और स्वागत करता हूं।
श्री शम्भु नाथ जायसवाल जी को राष्ट्रीय महासचिव बनने की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए ये आशा करता हूं आने वाले समय में वो राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद को भी सुशोभित करेंगे और समाज को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का प्रयास करेंगें।
श्री शम्भु नाथ जायसवाल जी को राष्ट्रीय महासचिव बनने की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए ये आशा करता हूं आने वाले समय में वो राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद को भी सुशोभित करेंगे और समाज को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का प्रयास करेंगें।
अभिनन्दन समारोह में आदरणीय श्री शम्भु जी ने समाज के इतिहास के बारे में कुछ जानकारी शेयर किया और बताया की हमारी संख्याबल उतनी नहीं है कि हम इलेक्शन में जाए । इसके बजाय हम सेलेक्शन के माध्यम से अपने अध्यक्ष और महासचिव चुने ले।अभी की स्थिति को देखते हुए मैं इनकी बातों का समर्थन करता हूं। पर मेरे कुछ सवाल हैं जिसका जवाब मैं अपने वरिष्ठ नेताओं से जानना चाहता हूं :
१) सन 1980 से चल रही हमारे समाज में , आजीवन सदस्यों संख्या केवल 234 क्यों है? इसे बढ़ाने के लिए आपने क्या प्रयास किया?
२) समाज में प्रतिनिधित्व एक क्षेत्र विशेष तक ही सीमित क्यों रखा गया?
३) पिछले 10 सालों में समाज की क्या उपलब्धि है?
४) हर साल समाज का लेखा-जोखा सार्वजनिक क्यों नहीं होता है ?
५) और क्यों समाज के कुछ लोग समाज को अपना जागीर मान बैठे हैं?
पिछले कुछ दिनों से समाज में जो कुछ हो रहा है वो उचित नहीं है और मैं इसकी घोर निन्दा करता हूं। आज कुछ लोग पैसे के बल पर समाज का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं वो सरासर ग़लत है।
क्या इस घटनाक्रम के लिए सिर्फ़ वही दोषी है? मुझे नहीं लगता। समाज में संवादहीनता इसकी जड़ है। हमारे बीच संवाद की कमी है इस बात को हम नकार नहीं सकते।
मैं काफी सकारात्मक व्यक्ति हूं और मुझे समाज में आज हो रही घटनाओं में भी कुछ सकारात्मकता दिख रही हैं। अब हमारा समाज पहले से ज्यादा अलर्ट रहेगा।
२) समाज में प्रतिनिधित्व एक क्षेत्र विशेष तक ही सीमित क्यों रखा गया?
३) पिछले 10 सालों में समाज की क्या उपलब्धि है?
४) हर साल समाज का लेखा-जोखा सार्वजनिक क्यों नहीं होता है ?
५) और क्यों समाज के कुछ लोग समाज को अपना जागीर मान बैठे हैं?
पिछले कुछ दिनों से समाज में जो कुछ हो रहा है वो उचित नहीं है और मैं इसकी घोर निन्दा करता हूं। आज कुछ लोग पैसे के बल पर समाज का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं वो सरासर ग़लत है।
क्या इस घटनाक्रम के लिए सिर्फ़ वही दोषी है? मुझे नहीं लगता। समाज में संवादहीनता इसकी जड़ है। हमारे बीच संवाद की कमी है इस बात को हम नकार नहीं सकते।
मैं काफी सकारात्मक व्यक्ति हूं और मुझे समाज में आज हो रही घटनाओं में भी कुछ सकारात्मकता दिख रही हैं। अब हमारा समाज पहले से ज्यादा अलर्ट रहेगा।
सुझाव : मेरे कुछ सुझाव है जो मैं शेयर करना चाहता हूं :
1) समाज में सदस्यता अभियान चला कर सब को जोड़ा जाए
२) क्षेत्रवार कमेटी बनाकर उनकी जवाबदेही तय किया जाए
३) महीने में कम से कम एक बार समाज की एक बैठक अवश्य हो
४) समाज में युवाओं की भागीदारी को बढ़ाया जाए या हो सके तो युवा मंच की स्थापना किया जाए
५) समाज के लोगों के छोटे-छोटे समस्याओं का बातचीत से निस्तारण
६) ज्यादा से ज्यादा सोशल मीडिया का प्रयोग करके समाज के हर परिवार को जोड़ा जाए
७) समाज के कमजोर परिवारों के शादी-ब्याह में समाज के सभी लोगों की भागीदारी को सुनिश्चित किया जाए
आइए आज हम सब ये संकल्प लें हम अपनी व्यक्तिगत लाभ-हानी को छोड़कर समाज के उत्थान के लिए लगातार प्रयास करते रहेंगे।
1) समाज में सदस्यता अभियान चला कर सब को जोड़ा जाए
२) क्षेत्रवार कमेटी बनाकर उनकी जवाबदेही तय किया जाए
३) महीने में कम से कम एक बार समाज की एक बैठक अवश्य हो
४) समाज में युवाओं की भागीदारी को बढ़ाया जाए या हो सके तो युवा मंच की स्थापना किया जाए
५) समाज के लोगों के छोटे-छोटे समस्याओं का बातचीत से निस्तारण
६) ज्यादा से ज्यादा सोशल मीडिया का प्रयोग करके समाज के हर परिवार को जोड़ा जाए
७) समाज के कमजोर परिवारों के शादी-ब्याह में समाज के सभी लोगों की भागीदारी को सुनिश्चित किया जाए
आइए आज हम सब ये संकल्प लें हम अपनी व्यक्तिगत लाभ-हानी को छोड़कर समाज के उत्थान के लिए लगातार प्रयास करते रहेंगे।
बहुत-बहुत धन्यवाद!!
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