क्या यही चाहते थे आप?


आपका,
मेरा नज़रीया

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वो आंखें..

वो आंखें...  वो आंखों में,  चित्कार है कसक है,  घर छुटने का ग़म है पराया होने का मरम है डर भी है, खौफ भी है वापस ना आने का दर्द है अपनों से ...