एक बार फ़िर नितिश कुमार ने अपने अंतरात्मा की आवाज़ पर लालू को छोड़कर अपने पुराने साथी सुशील मोदी के साथ हो लिये. क्या ये घटनाक्रम फिक्स था ? राजनीति में एक चीज़ ही फिक्स होती है वो है कुर्सी . जो भी व्यक्ति सत्ता पाने में सफ़ल हो जाता है और साथ ही साथ अपना चेहरा भी दागदार होने से बचा लेता है वही सबसे बडा राजनीतिज्ञ है . नितिश ये सब करने में माहिर है और उन्होंने ये कई बार साबित भी किया है .
सही क्या गलत क्या है ये सब आप चर्चा करते रहीये. मैंने इससे पहले अपने पूर्व के लेखों में पहले ही बताया है .
“Nothing is right or wrong it’s state of mind” only.
अच्छा मसाला है न्यूज चैनलों के लिये ,अगला 15-20 दिन तो निकल ही जायेगा जब तक कि कोई नया मुद्दा ना मिल जाए.
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