कोई मेरे हदें बता दे..
कहाँ तक जाना है मुझे ,
ये जता दे,
मै तो मसाफ़िर हूँ,
चलना मेरी आदत है ,
हसरतों की लिस्ट ज़रा लंबी है ,
एक -एक कर पाने की ,
ख्वाईश रखता हूँ,
करता रहुँगा कोशिशें लगातार,
जब तक ना कोई मेरे हदें बता दे,
एक छलाँग मारना है मुझे ,
बस सही मौके की तलाश है ,
हमे दिखानी है दुनिया को ,
आखिर मेरी हदें क्या है .....
छू लेता आसमां को ,
गर कुछ मज़बूरियाँ ना होती ,
इरादे नेक रखता हूँ,
कही ये मेरी कमज़ोरी तो नही ?
ख़ुदा के घर में देर है ,
अंधेर नहीं ,
ऐसा लोग कहते है ,
कही ये देरी,
मेरे सब्र की इम्तहा तो नहीं ?
आपका ,
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