किसी भी फाइनल ईयर इंजीनियरिंग स्टूडेंट से ये सवाल करना कि डिग्री बाद क्या ? उसके ऊपर परमाणु बम जैसे हमले से कम नहीं होता है। खाश तौर पर उनसे जो थोड़े सीरियस टाइप के स्टूडेंट हों। विश्वास ना हो तो कभी आज़मा के देखिएगा। आज के दौर में इंजिनियरिंग की डिग्री लेना गोलगप्पे खाने से भी आसान है। भारत में दो ही कैरियर सबसे ज्यादा प्रचलन में है एक डाक्टर और दूसरा इंजिनियर बनना। इसी का फ़ायदा उठाते हुए देश के कुछ महान कालाधन कमाने वालों ने एक नये तरह की बिजनेस को इज़ात किया और चोरी का एक नया फील्ड क्रीयेट किया नाम रखा गया "शिक्षा माफिया"।
हमारा देश एक बहुत विशाल क्षेत्र में फैला हुआ देश है। यहाँ कुल 29 राज्य 7 केन्द्रशासीत प्रदेश है और भारत की जनसंख्या 1.25 अरब है । पूरे देश में एक रिसर्च के मुताबिक सरकारी और प्राइवेट मिलाकर कुल 8000 इंजिनियरिंग कालेज है और हर साल औसतन 25,00,000-30,00,000 छात्र पास आउट होते है। कभी आपने सोचा है कि इतने सारे इंजिनियर जाते कहाँ है ? कितनों को जौब मिलता है और कितने अपने लाइफ में सही मायने में इंजिनियर बन पाते है ? जब आप इन सवालों के जवाब खोजेगे तो आप पायेगे बमुश्किल 5-10 % बच्चे ही अपना कैरीयर इंजिनियर के रुप में शुरू कर पाते है बाकी बचे बेरोज़गार होते है । जो ये 5-10 % बच्चे अपने कैरियर में जो सफलता पाते है, सही मायने में वे ही असली इंजिनियर होने के हक़दार होते है । बाकी 90-95% अपने आपको और अपने परिवार धोखा देते रहते है ।
इन सबका जिम्मेदार कौन है , क्या ये सरकार की नज़र में नही आता है ? मुझे लगता है कि ये समस्या जिस तबके की है कही से भी सरकार पर कोई फर्क नही डालती है और इसिलिये सरकार का इस ओर कोई ध्यान नही जाता ।
आज जो औसत छात्र बी -टेक की डिग्री के फाइनल ईअर में होता है उसके दिमाग में क्या चलता है इसका थोडा सा ओवरव्यू आपको देता हूँ :
1) इस साल कैम्पस होगा या नही
2) गेट परीक्षा की तैयारी कहाँ से और कैसे करे
2) गेट परीक्षा की तैयारी कहाँ से और कैसे करे
3) PSU के परीक्षा की तैयारी कैसे की जाये
4) घर वाले पूछेगे तो क्या बोलेगे कि अब क्या करना है
5) अपना स्टार्ट्प शुरू करेगे
6) पुरा डिग्री खत्म होने वाला है और जानकारी कुछ भी नही है
7) सिनियर से सेटिंग करके जाब ढूढ लेंगे (जो कभी नही मिलता है )
8) MBA या और हायर एजुकेशन के लिये एंट्रेन्स परीक्षा देंगे
9) M-टेक के बाद रिसर्च और उसके बाद Phd और फ़िर बाद में प्रोफ़ेसर बनेंगे
10) अपना फैमली बिजनेस करेंगे
उपर्युक्त बातें वो बच्चे सोचते है जो कुछ अच्छे सरकारी या प्राइवेट कालेज से होते है । वो बच्चे जो बिना किसी एंट्रेन्स के डायरेक्ट एड्मिशन में भरोशा करते है या जो कालेज बस यू ही खोल दिये गये हों (जिनका फोकस सिर्फ सरकारी योजनाओ का मिसयूज करना होता है ) वो तो ये सब सोचने की हिम्मत ही नही कर सकते है ।
आज IIT और कुछ नामी NIT या अच्छे राज्य स्तरिय सरकारी कालेज को छोड दिया जाये तो बाकी बचे कालेजो का कोई स्तर ही नही है । जबसे शिक्षा का बाज़ारीकरण हुआ है ज्ञान ख़त्म होने लगा । आज हर साल इंजिनियरिंग कालेज धड़ल्ले से खुल रहे है ये जाने बिना की उसका स्तर क्या है। इंजीनियरिंग की डिग्री का इतना बुरा हाल जितना इन ५-६ सालों में हुआ है शायद ही इतिहास में पहले कभी हुआ हो। कॉलेजो को सर्टिफिकेट देने वाली संस्थान क्या सही मायने में मानकों का सही मूल्यांकन करके ही सर्टिफिकेट प्रदान करती है या यहाँ भी ले दे काम हो जाता है। इसकी जाँच होनी चाहिए।
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