मोदी के खिलाफ़ बदलता हुआ माहौल

##मोदी के खिलाफ़ बदलता हुआ माहौल##

8th Nov को नोटबंदी की  घोषणा बाद जो उत्साह लोगो मे दिखा, आज 45वे दिन वो उत्साह  ठोडा ठंडा होते हुए दिखने लगा है . बैंको मे रोजना बदलते हुए नियम, ATM मे रुपयो की कमी,लंबी लंबी लाइन का कम ना होना और हर दिन नये नोटो की बरामदगी से लोगो का धैर्य जवाब दे रहा है . ऐसे देश की 70-80% आम जनता अपने आपको को ठगा हुआ महसूस कर रही है . अब ये तय है की 30 Dec'16 के बाद भी हालत मे सुधार की गुंजाइस कम ही है , धीरे -धीरे हालात सामान्य होंगे.
मोदी विरोधीयो के लिये ये सबसे उपयुक्त समय है , अपनी राजनीति गर्माने का ,और वो पुरी ईमानदारी से अपना काम कर रहे है .
ऐसे मे मोदी सरकार को क्या करना चाहिये ? क्या सरकार की ये जिम्मेदारी नही है की लोगो के मन मे बैठ रहे इन नकरात्म्क छवि को दुर किया जाये? बहुत जरूरी है . यदि ऐसा नही किया गया तो जिस महान कार्य के लिये मोदी सरकार ने ये कठिन निर्णय लिया है वो पुरा करने के लिये ये सरकार सत्ता मे ना होगी और ऐसा देश के लिये ठिक नही होगा .
हमे देश उन करोडो लोगो का धन्यवाद देना होगा जो इतनी परेशानियो के बाद भी ये कहते हुए सुने जाते है कि "सरकार ने जो किया वो ठिक है , हम सरकार के साथ है ". ये भरोशा है उन करोडो लोगो की और ये भरोशा टूटनी नही चाहिये.
सरकार आम लोगो के हित मे काम कर रही है ये सिर्फ बोलने से काम नही चलेगा धरातल पर ये देखना होगा की क्या वाकई ऐसा है . सरकार के कुछ ऐसे निर्णय लिये है जो ठिक नही है :-
1) संसाधन के इंतज़ाम किये बिना कैशलेश एकोनोमी की तरफ़ बढना
2) बिना पर्याप्त कैश के नोटबंदी लागू करना
3) बैंको पर पुरी तरह भरोशा करना (की ये पुरी तरह से ईमानदार है )
4) 50-50% काला धन को सफ़ेद करना
5) किसानो के कर्ज माफ़ी के बजाये उद्योगघरानो के कर्ज माफ़ करना
6) अद्योगिक घरानो को ज्यादा सहुलियत देना , ये चेक किये बिना की इससे कितने रोज़गार बढे है
7) सरकारी नौकरियो  मे ठेकेदारी प्रथा की शुरूवात करना
8) बैंको मे FD पर ब्याज दरो को कम करना
9) टैक्स paiyer की गाढी कमाई PF पर ब्याज दरो मे कमी करना
10) अतिपिछडे क्षेत्रो की अनदेखी करना (जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्र, north east इत्यादि)

आज का दौर TV डिबेट और सोशल networking का दौर है . आज हम अपना point of view इन्ही से बनाते. हमे सही मायने मे कुछ भी पता नही होता. हम मार्केट मे पर्सेप्शन के आधार पर अपना विचार रखते है. क्या ये ठिक है जो मिडिया दिल्ली से दुर जाती नही है और वो भी कुछ धडो मे बट गयी हो , उसके आधार पर हम अपनी सोच बनाये? सरकार को ऐसा मेकनिज्म ढूढना होगा जो उसकी नितियो को जमीनी स्तर पे ले जाये और आम जनता को ये भरोशा दिलाए की सरकार ने जो कार्य किये है वो उनकी भलाई के लिये है .

आपका,
meranazriya.blogspot.com

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