ये तो खाश है (104 नाबाद)
आज मैने इसरो के इतिहास को पढने और समझने की कोशिश की और मै ये पाया की इतनी बडी उपलब्धी किसी रहस्य से कम नही है। एक समय था जब श्रीहरीकोटा में पब्लिक ट्रान्सपोर्ट की कोई व्यवस्था नही थी और उस समय राकेट के पुर्जों को साइकल और बैलगाडियों से प्रक्षेपण केन्द्र तक लाया जाता था। तब से लेकर आज तक ना जाने कितने सुधार हुए और आज हम विश्व में अपनी अलग पहचान रखते है।
इतिहास पढते वक्त मुझे एक जगह ये भी लिखा हुआ मिला की अमेरिका को हमारे उपग्रह प्रक्षेपण पर बिल्कुल भरोशा नही था और कुछ वर्ष पहले ही अमेरिकी सिनेट मे ये बात रखा गया कि अमेरिका भारत में अपने उपग्रह प्रक्षेपित नही करायेगा। जब भारत ने अपना मंगलयान मिशन को बेहद कम समय और कम लागत में पूरा किया तो पुरी दुनिया की निगाहें हमारी तरफ़ थी। भारत की बहुत बडी उपलब्धी थी जिसने अमेरिका को पुनर्विचार करने पर मजबूर किया , और भारत ने इन 104 उपग्रहों में से 96 उपग्रह जो अमेरिका के है अन्तरिक्ष में प्रक्षेपित किया और अमेरिका को मुँहतोड़ जवाब दिया।
हमें 'इसरो' से सीख लेनी चाहिये कि परिश्थितियां हमेशा एक जैसी नही होती है समय बहुत बलवान होता है।
आप नि:स्वार्थ भाव से अपने लक्ष्य को पाने के लिये अपने कर्म करते रहिये निश्चित ही सफलता आपके कदम चुमेगी।
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DJ Culture (धूम धडाम संस्कृति)
आजकल त्योहार चाहे जो भी हो , सेलिब्रेट करने का एक तरीका कामन है , खूब धूम धडाका यानी DJ बजाकर शोर करना और नाचना. अब मुझे ये नही समझ आता की आज युवा वर्ग अपनी पुरानी धरोहर को बचाना चाहते या उसे नया रंग दे रहे है .मकसद चाहे जो भी हो एक बात सत्य है कि वो खूब मस्ती करना चाहते है . शुरुवाती दौर में ये नाचने और मस्ती करने तक सीमित था परंतु आज ये धीरे -धीरे अश्शिलिल्ता और फुहड़पन की ओर बढ चला है .
आज ये ध्यान नही दिया जा रहा है की हम त्योहार क्यो मना रहे है और इसका उद्देश्य क्या है . छोटी उमर में ही मदिरापान एक फैशन बन गया है .और सिर्फ फैशन ही नही मैंने ये देखा है गाँव के छोटे-छोटे बच्चे इसकी गिरफ़्त में है . ये उनके भविश्य के लिये ठीक नही है . माता-पिता को ये ध्यान देना होगा की उनका बच्चा क्या कर रहा है आजकल.
ये DJ क्या है मैने गूगल में सर्च करने की कोशिश की और ये पाया:
Disc Jockey - A disc
jockey,
also known as DJ, is a person who
selects and plays recorded song.
मेरा कहना ये है की त्योहार हमे बहुत कुछ सिखाते है . हमे सीखने की कोशिश करना चाहिये और जहाँ तक मस्ती का सवाल है मर्यादा में रहकर खूब एंजोय करिये .
आपका,
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दिखावा संस्कृति
और 50 दिनों बाद...
उत्सुकता की पराकाश्ठा हो रही थी और इसी बीच घडी में सात बजा प्रधानमंत्री मोदी जी ने अपना संदेश आरंभ किया शुरू के 15-20मिनट देश के लोगो को उनके धैर्य और साहस की तारीफ़ किये और धन्यवाद दिया .नोटबंदी के बाद हुए फ़ायदे का लाभ आम लोगो को देने के लिये सरकारी खजाने से लोगो को उनके अपने घर बनाने के सपने दिखाये, ये काबिले तारीफ़ था. बुजुर्गों और प्रसुती महिलाओं के लिये कुछ अच्छी योजनाओ का शुभारम्भ किया.
एक बार फ़िर मोदी जी देश को चौकया,और ये बता दिया की फ्री का कुछ भी नही मिलेगा और जो मिलेगा उसे नकार नही सकते . आज 50 दिन बाद क्या हाल है देश का एक overview आपको देता हूँ :-
1) राहुल गांधी का नोटबंदी का विरोध बंद और विदेश यात्रा शुरू
2) बैंको से लाइन लगभग खत्म , रिजर्व बैंको मे भिड़ बढी
3) ममता और केजरिवाल जैसे लोगो का सुर में अचानक बदलाव , दोनो अपने अपने कार्यो में लगे
4) IT डिपार्टमेंट के छापा में बढोत्तरी ,बहुत सारे गद्दारों का पर्दाफाश शुरू
5) मुलायम परिवार का अन्तर्कलह अभी भी ज़ारी
6) TV पर नोटबंदी की चर्चा में भारी गिरवाट, expert लोग अर्थव्यवस्था में हो रहे बदलाव का गहन अध्ययन में जूटे.
7) देश में 5राज्यो में चुनाव की तारिखों कीघोषणा , एग्जिट पोल का दौर शुरू
8) intollerance और सर्जीकल स्ट्राइक शब्द मार्केट से धीरे -धीरे गायब होता हुआ , नये साल में कोई नया शब्द की तलाश में भारतीय मिडिया
9) नोटबंदी का फ़ायदा और नुकसान का बारीकी से अध्ययन करता हुआ आम आदमी
10) बजट 2017-18 में अपने लिये कुछ टैक्स में राहत की उम्मीद में बैठा हुआ आम आदमी.
आपका,
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मेरी बेटियाँ
जब वो हँसती हैं ,तो ऐसा लगता है जैसे जहाँ मिल गया ,
जब वो रोती है तो लगता है कि सब कुछ खो गया,
जब वो जिद करती है तो गुस्सा दिखाना पड़ता है ,
जब वो रुठ जाये तो मनाना भी पड़ता है।
वो जो भी मांगे उसे दिला दूँ ,
उन्हे खुश कर दूँ ,
उसकी मुस्कान को देखकर जहाँ जीतना है,
क्योकि ये बेटियाँ ही, मेरी जहाँ है।
इनकी गलतीयो को बताता रहता हूँ ,
इन्हें दिक्कत ना हो बचाता रहता हूँ ,
थोडा ज्यादा सेन्सटिव हूँ मै , इसिलिये
गलतीयो से सीखने के बजाये, इन्हे सिखाता रहता हूँ,
क्योकि मेरी बेटियाँ ही मेरा अहसास है
मुझे इतना बडा इन्होंने ही बनाया है ,
अब थोडा ज्यादा परिपक्व हो गया हूँ मै ,
पहले से ज्यादा ,जिम्मेदार हो गया हूँ ,
अब मुझे इन्हे ही आगे बढाना है ,चांद तक ले जाना है ,
क्योकि मेरी बेटियाँ ही मेरा प्राण है , मेरी जान है।
उनके जैसा बन पाऊ ये कोशिश है मेरी.
उनके जैसा त्याग ,अनकंडीशनल प्यार ,
हमेशा साथ होने का एहसास ,
कठिन दौर में भी मुस्कुराने की कला ,
थोड़ा -थोड़ा सीख़ रहा हूँ ,
मुझे वो सब करना है जो मेरे पापा ने मेरे लिए किया ,
आख़िर मेरी बेटियाँ ही तो हैं मेरा सब कुछ,
मेरी बेटियाँ ही ,मेरी जान है
आपका ,
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सोचता हूँ
सोचता हूँ
देहावसान.... एक सच
पुरे हफ्ते की आपाधापी के बाद रविवार का दिन इस आशा के साथ कि दिनभर आराम करूँगा। सावन का महीना चल रहा है। लगातार बारीश से पुरा शहर अस्त व्यस्त...
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वो आंखें... वो आंखों में, चित्कार है कसक है, घर छुटने का ग़म है पराया होने का मरम है डर भी है, खौफ भी है वापस ना आने का दर्द है अपनों से ...
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क्षितिज, जल, पावक, गगन, समीर ये पंचतत्व से शरीर है इसी पंचतत्व की पूजा है (पानी मे रहकर आकाश की तरफ गर्दन किये हुए हाथ मे दीपक लेकर खुले ह...
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