ये तो खाश है (104 नाबाद)

            एक समय था जब भारत अपनी सेटेलाइट को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कराने के लिये दूसरे देशों पर निर्भर था। लेकिन आज समय बदल गया है। भारत आज सिर्फ अपना ही नही बल्कि दुनिया के विकसित देशों के उपग्रहों को प्रक्षेपित करने में समर्थ है।  दिनांक 15th Feb'17 समय सूबह 9:30 बजे श्रीहरीकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से भारत ने एक बार में ही 104 उपग्र्हों को सफलता पूर्वक प्रक्षेपित करके इतिहास रच दिया। इस सफलता के लिये हमारे वैज्ञानीकों की जितनी सराहना की जाये वो कम है।
          आज मैने इसरो के इतिहास को पढने और समझने की कोशिश की और मै ये पाया की इतनी बडी उपलब्धी किसी रहस्य से कम नही है।  एक समय था जब श्रीहरीकोटा में पब्लिक ट्रान्सपोर्ट की कोई व्यवस्था नही थी और उस समय राकेट के पुर्जों को साइकल और बैलगाडियों से प्रक्षेपण केन्द्र तक लाया जाता था। तब से लेकर आज तक ना जाने कितने सुधार हुए और आज हम विश्व में अपनी अलग पहचान रखते है।
             इतिहास पढते वक्त मुझे एक जगह ये भी लिखा हुआ मिला की अमेरिका को हमारे उपग्रह प्रक्षेपण पर बिल्कुल भरोशा नही था और कुछ वर्ष पहले ही अमेरिकी सिनेट मे ये बात रखा गया कि अमेरिका भारत में अपने उपग्रह प्रक्षेपित नही करायेगा। जब भारत ने अपना मंगलयान मिशन को बेहद कम समय और कम लागत में पूरा किया तो पुरी दुनिया की निगाहें हमारी तरफ़ थी। भारत की बहुत बडी उपलब्धी थी जिसने अमेरिका को पुनर्विचार करने पर मजबूर किया , और भारत ने इन 104 उपग्रहों में से 96 उपग्रह जो अमेरिका के है अन्तरिक्ष में प्रक्षेपित किया और अमेरिका को मुँहतोड़ जवाब दिया।
         हमें 'इसरो' से सीख लेनी चाहिये कि परिश्थितियां हमेशा एक जैसी नही होती है समय बहुत बलवान होता है। 
आप नि:स्वार्थ भाव से अपने लक्ष्य को पाने के लिये अपने कर्म करते रहिये निश्चित ही सफलता आपके कदम चुमेगी। 

आपका,
meranazriya.blogspot.com

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