गाली देने वाले पहले भी थे और आज भी। तरीका बदल गया गया। अब प्रोफेशनल गाली देने वालों की राजनीतिक पार्टियों में बकायदा नियुक्ति होती है। कुछ तो पेड होते है और कुछ भावनाओं में बह कर गाली लिखते और देते है। अब इसका चलन इतना ज्यादा बढ़ गया है कि आने वाले समय में इसी मुद्दे पर रिसर्च होगा और इसका हेडिंग होगा "सोशल मिडिया पर गाली और उसका राजनितिक प्रभाव ", इसमें सफ़ल लोग यूनिवर्सिटी में जाकर व्यख्यान देंगे और अपनी सफ़लता का राज़ बताएगे। ऐसे ही चलता रहा तो देश स्तर पर 'गाली प्रतियोगिता ' भी आयोजित होंगी और सरकारी और गैरसरकारी संस्थाए सम्मान समारोह आयोजित करेगी। राष्ट्रिय स्तर पर वार्षिक 'सर्वश्रेष्ठ गाली लेखक' का अवार्ड भी बाकी सब अवार्ड की तरह दिया जाएगा। पुरे विश्व में एक दिन 'गाली दिवस' मनाने का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र में पास कराया जायेगा और उस पुरे विश्व में खाश तौर से हमारे यहाँ इस दिवस को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जायेगा।
आपका ,
meranazriya.blogspot.com
meranazriyablogspotcom.wordpress.com
आपका ,
meranazriya.blogspot.com
meranazriyablogspotcom.wordpress.com
No comments:
Post a Comment