सच का सामना

कभी -कभी 'तारीफ़' करने का दौर चलता है .सभी लोग सिर्फ तारीफ़ करने में लग जाते है , चाहे उन्हे कुछ पता हो या ना हो . जिधर भिड़ चलती है उधर ही हो लेना सबसे आसान होता है .

ऐसे में यदि कोई बुराई करता है तो उसके उपर जैसे शामत आ जाती है . बात उसकी चाहे सच ही क्यों ना हो. 

"आजकल देश में कुछ मुद्दों पर यही हो रहा है . सब तारीफ़ करने में लगे हुए हुए है , बुराई (यानी सच्चाई) कोई सूनना नही चाहता" . इसिलिये मै कहता हूँ :

"सब तारीफ़ ही करेंगे ,तो बुराई रूठ जायेगी"

आपका,

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