क्या लिखूँ माँ के बारे में ,
बस इतना समझ लिजिये,
जब कुछ भी ना समझ आये तो ,
एक बार माँ को याद करिये,
ये माँ ही तो है जो हमेशा ,
आपकी तारीफ़ करती है ,
उसे अपने बच्चे ही हमेशा,
सच्चे और अच्छे दिखते है ,
नही उसे परवाह दुनिया की ,
उसे तो बस अपना बच्चा खुश चाहिये,
मन में हज़ारो ग़मों को दबा के रखती है ,
बच्चे से कुछ भी ना कहती है ,
पूछने पर हमेशा 'ठीक है ' ही कहती है,
ये माँ ही तो है ,
बस इसे अपने बच्चे खुश चाहिये,
निस्वार्थ भाव से दुआए माँगती है ,
उसका बच्चा जीवन में हमेशा खुश रहे,
इसी की कामना करती है ,
कोई उसके बच्चे के बारे में कुछ कहे,
अच्छा नही लगता उसे , बिना वजह
जाने भी 'मेरा बच्चा ऐसा नही है'
ऐसा ही बोलती है ,
ये माँ ही तो है ,
आपका,
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