आको बांको की बेहतरीन लाइनें मेरी नज़र में

नमस्कार,
आखिरकार आज मैंने आको-बाको किताब की पूरी कहानियां पढ़ ली। दिव्य प्रकाश दुबे जी की इस पुस्तक में कुल 16 कहानियां हैं और यकीन मानिए इन 16 कहानियों को पढ़ने के बाद आपको कुछ नए शब्द नई लाइनें ने आपके दिमाग में रह जाएगी।इन लाइनों का आप के दिमाग पर खास तरह का असर होगा मैंने कुछ लाइनों को संग्रहित करने के लिए इस ब्लॉग में कहानी के के दौरान लिखे हुए कुछ लाइनों को संग्रह किया है।आप भी कहानी के हिसाब से लाइनों को पढ़ें और समझने का प्रयास करें कि इन लाइनों का उस कहानी में मतलब क्या होगा। यह लाइनें ही आपको पूरी पुस्तक पढ़ने के लिए मजबूर करेगी ऐसा मेरा मानना है।


सुपर मॉम
याद समंदर की लहर के जैसे आई और पुराने दिनों की उम्मीद वह आकर ले गई याद रात के तारों की तरह आई नींद उड़ा कर चले गए याद हर तरीके से आई बस अच्छे याद की तरह नहीं आई।

जिंदगी के बड़े फैसले आराम से बैठकर नहीं बेचैनी से फूट-फूट कर रोते हुए पलों में लिए जाते हैं।

आदमी बदलता है तो उसकी महक भी बदल जाती है।

मैडम सही रास्ता मिलने के बाद भी उस पर चलना इतना आसान नहीं होता लेकिन मैडम मैं थकी नहीं हूं।

मैं खुद ही अपनी प्रेरणा हूं प्रेरणा अपने अंदर होती है।

पेन फ्रेंड
जिंदगी बिस्तर की सिलवट जैसी हर सुबह उलझी हुई मिलती है इसीलिए उलझी हुई सिलवट को वापस ठीक करने की कवायद में लोग जिंदगी के चार सिरे से खींच कर रोज उसको  संवारते हैं। जिंदगी का काम है उलझाना और आदमी काम है सुलझाना और उस सुबह का इंतजार करते रहना जिस दिन सिलवट नहीं मिलेगी।

खिलौना
आंसू छंटाक भर है लेकिन भारी बहुत है इतना भारी कि इस धरती पर सबसे बड़े फैसलों के पीछे कहीं न कहीं इस पानी का हाथ है।

यादें खो जाए तो जिंदगी आसान हो जाती है हम अपनी यादों से परेशान लोग हैं दुनिया तो बहुत बाद में परेशान करती है।

संजीव कुमार
उसके ठप्पे लगाने में एक रिदम था एक संगीत था जैसे चिट्ठियों पर ठप्पे लगाना इस दुनिया का सबसे खूबसूरत काम है।

हां इस दुनिया में इतने किरदार हैं कि हम वह किरदार बनते रहते हैं एक वही तरीका है कि हम जिससे अपनी असलियत से भाग सकते हैं।

पहला पन्ना
पहला पन्ना उन सभी शायरों और लेखकों के नाम जो कुत्ते की मौत मरे और मरते रहेंगे।

इस दुनिया को समझने की कोशिश जब भी हुई हर खोज यहीं पर आकर रुकी है कि दुनिया रहने लायक नहीं है, यहां आदमी आदमी बनकर नहीं रह सकता।

तुम लोगों पर बातों का कोई असर थोड़े होगा कबीर, नानक, गांधी की बातों का असर नहीं हुआ तो मेरी बातों का क्या होगा।

इस बदसूरत दुनिया में खूबसूरती वही तलाश सकता है जो इस दुनिया को एक डीएसएलआर कैमरे की नजर से देखें जो झोपड़पट्टी, गरीब के पांव, नाले तक में खूबसूरती ढूंढ सके।

दुनिया को सच बोलने का वादा चाहिए सच नहीं।

इस दुनिया को बच्चों की नजर से ही झेला जा सकता है शायद!

हर लेखक कभी न कभी खाली होता है लेकिन मानना नहीं चाहता खाली हो जाना मौत जितना बड़ा ही सच है।

डैडी आई लव यू
नदी पार करने वाले तीन तरह के लोग होते हैं पहले वो जो पार हो जाते हैं और पलट कर नहीं देखते, दूसरे वो जो पार होने के बाद दूसरों को पार कराते हैं और तीसरे वो जो नदी हो जाते हैं।

कविता कहां से आती है
कहानियां असल में वही पड़ी होती हैं जहां हम उनको रख कर भूल चुके होते हैं किसी अलमारी में बिछे अखबारों की तहो के नीचे, किसी किताब के मुड़े हुए पन्ने पर, किसी भी बिस्तर के बेचैन करवटों पर, किसी के जाने के बाद में बची हुई खाली जगह में।

हाले-गम उनको सुनाते जाइए शर्त ये है मुस्कुराते जाइए।

इसीलिए शायद हमारी जिंदगी के कई जरूरी जवाब एक थकावट की पैदाइश है जवाब ढूंढना बंद कर देना एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब लोग सवाल बदल कर अपने आप को छोटा-मोटा धोखा देते रहते हैं।

कविता जब आती है तो खुशबू वाले फूल जैसे होती है और जब बनाई जाती है तो उस फूल की प्लास्टिक कॉपी जैसी लगती है।

भूतनी
कुछ आत्माएं इतनी शापीत होती हैं कि उनको भूत बनने के लिए मरने की जरूरत नहीं पड़ती। जिंदा आदमी भूत से परेशान होता है लेकिन हमने यह नहीं सुना कि भूत किसी जिंदा आदमी से परेशान होता हो।

शुगर डैडी
प्यार को अगर समय के स्केल पर रखकर बांट दे तो मिलने से पहले और बाद का स्केल मैटर नहीं करता। मेरे बाद भी कोई मेरे प्यार में रहे, मैं इतनी बड़ी सजा किसी को नहीं देना चाहता।

पहले से तय कर लेना कि अब सच्चा प्यार नहीं होगा इस जीवन की असीम संभावनाओं का अपमान है।

कमरा
उसने अपने मन में घाव बना लिया वह घाव जो हर कोई कभी ना कभी बना लेता है समय के साथ  घाव भरता रहा।

60 सेकंड
आपके जैसा रोज़ कोई आता है और थोड़ी सी जिंदगी मेरे कटोरे में रख देता है।

आदमी के 'बिसात' ही कुछ ऐसी है कि वह उम्मीद नहीं छोड़ता । उम्मीद नहीं होती तो लोग सुसाइड लेटर लिखकर नहीं जाते। धीरे से चुपचाप मर जाते गुमनाम मर पाना हमारे समय की सबसे बड़ी लग्जरी है।

गुमशुदा
हर आदमी तभी तक नॉर्मल है जब तक इस समाज उसे पागल घोषित नहीं कर देता।

विंडो सीट
उसने अपने चेहरे पर एक प्लास्टिक स्माइल में तरफ दी मैंने स्माइल से थोड़ा सा प्लास्टिक कम करके स्माइल से वापस कर दे।

सुपरस्टार
असल में हम उसे ही अपना भगवान बनना चाहते हैं जिसको हम देख और छू सकते हैं फिर वह चाहे पत्थर ही क्यों ना इसीलिए शायद ना छू पाना भगवान होने की पहली शर्त है।

जो लोग खुद लेट होते हैं वह दूसरों को समय से पहले पहुंचा देते हैं।

खुश रहो
बेटे ने अपने बाप को जीते जी माफ कर दिया था वरना इतिहास गवाह है बाप को माफी मरने के बाद ही मिलती है पिता को माफ करना अपने आप को माफ करना होता है।

द्रोपदी
क्योंकि वह अपने शक को शक बने रहने देना चाहते थी उसको सच होते हुए नहीं देखना चाहती थी।

जितना मन करें उतना देखना अब फुर्सत से पति हो परमेश्वर नहीं।

इस ब्लॉग को लिखते समय मेरे जेहन में इस बात का ख्याल जरूर है कि मैं कहानी की आत्मा को बचा के रखूं और आपको कहानी पढ़ने के लिए विवश करु। इस पुस्तक के लेखक श्री दिव्य प्रकाश दुबे जी को बहुत-बहुत बधाई। पुस्तक में लिखी हुई हर कहानी अपने आप में शानदार हैं एक नया अनुभव है और एक नए पाठक के लिए और नये लेखकों के लिए बहुत कुछ सीखने का भी है।

बहुत-बहुत आभार धन्यवाद।


आपका,
मेरा नज़रिया

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