ये जोर से चलती बयार है,
सब उड़ा ले जाने को आतुर,
पर चल रही है,
जोर-आजमाइश इन पत्तों की,
ना हार मानने की हिम्मत,
ना हारेंगे.. ये जज्बात भी,
ना जाने कितने बार,
हवा का ये झोंका,
रोकने की कोशिश करता है,
पर ये इन पत्तों की साख है,
जो टिका रहता है,
और हार मानकर हवा,
रुख मोड़ लेती है,
ये सलाम है,
और उम्मीद भी... की
ग़र हो दिलों में ख्वाइशें,
ना रोक सकता है कोई,
बस झंझावतों से लड़ने की बात है।
© मेरा नज़रिया
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