क्यों खौफ है,
सारा जहां सहमा हुआ है,
कुछ अजीब सा सन्नाटा है,
गला काट भागम भाग के इस दौर में,
सब ठहरा सा क्यों है,
क्यों खौफ है,
झरोखों से देखती हुई,
ये सहमी आंखें,
कुछ पूछ रही हैं,
कहना चाह रही है कुछ,
आखिर क्यों खौफ है,
भरी दोपहरी में सड़कों पर
पंछियों की चहचहाहट,
ये कौन सा दौर है,
सब कुछ हासिल कर लेने की वो चाहत,
कहां गई,
क्यों ठहर गई वो चाहत,
आखिर किसका ये खौफ है,
सब ठहर गया अचानक,
सबको उड़ना था,
जल्दी जल्दी करना था,
अब क्या हुआ,
कुछ सोचो ज़रा,
क्यों खौफ है।
आपका,
मेरा नज़रिया
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