भीड़तंत्र

ना जाने कब ये शब्द मुझे झकझोर कर रख दिया कि मुझे इस भीड़तंत्र पर लिखने को सुझाI बात अभी दो -तीन महीने पहले की है जब उत्तर प्रदेश में योगी आदित्य नाथ की सरकार बनी  I सरकार बनने बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अपने कार्यकर्ताओ को विनम्र रहने की सलाह दी और साथ में जिम्मेदारी का अहसास भी कराया I सरकार बनने के एक हफ्ता के भीतर ही मुख्यमंत्री योगी ने अपने अनोखे अंदाज़ में लोगो को अपने होने का परिचय दे दिया I इसका असर ये हुआ कि प्रदेश में कुछ उत्साही कार्यकर्ता केसरिया और योगी पर अपना पर्सनल अधिकार समझते हुए कई जगह मारपिट और सरकारी कर्मचारियों को निशाना बनाया और यहा तक की महिला कर्मियों से भी दुर्वव्य्हार किया I आये दिन केसरिया गमछा लिये कुछ लोग आम आदमी और सरकारी कर्मियों को निशाना बनाने लगे I हद तो तब हो गयी जब जब लोगों के सुरक्षा में लगी पुलिस पर इन उत्पाती लोगों का हमला शुरू हो गया I 
        आये दिन देश-प्रदेश कही ना कही ये खबरे आती रहती है कि भिड़ ने स्वयं निर्यण लेते हुए लोगो को अपना शिकार बना रही है I कुछ दिन पहले की बात है कुछ महिलाओ ने मिलकर शराब के दुकान पर हमला बोल दिया और आग लगा दिया I जब मै ये लेख रहा हुँ ठीक एक हफ्ता पहले झारखंड में बच्चा चोरी (अफ़वाह) के नाम पर 8 लोगों की निर्मम हत्या कर दी जाती है I ये क्या हो रहा देश में ?
लोकतंत्र में कानून को अपने हाथ में लेने का अधिकार किसी को नही है I फ़िर भी समाज में ये मानसिकता क्यो पनप रही है ? क्या लोगों के मन में कानून के प्रति कोई सम्मान नही है या लोगों का भरोशा उठ रहा है कानून और संवीधान से ? ये वो कठिन सवाल है जो देश का एक आम नागरिक सत्ता में बैठे हुए अपने नेताओं से करना चाहता है I देश और प्रदेश की सरकारों को आपसी सामंजस्य से कानून व्यवस्था को बना के रखना होगा I सरकारें अब ये कह कर नही बच सकती की ये मामले राज्य और केन्द्र की है I जनता में कानून का डर होना ही चाहिये , नही तो देश में अराजकता का माहौल बनने में देर नही लगेगा I

आपका,
meranazriya.blogspot.com

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