सरकारी कर्मियों में दहशत का माहौल कितना सही ?
आजकल आये दिन न्यूज़ पेपर पे पढ़ने को मिल रहा कि जबसे उत्तर प्रदेश में योगी सरकार आयी है सरकारी कर्मचारियों में जबरदस्त दहशत का माहौल है। योगी जी का प्रशासन को चुस्त दुरुस्त करने के लिए कठोर शब्दों का चयन ठीक है परन्तु उनकी कठोरता का आड़ लेकर बहुत सारे असामाजिक तत्व सरकारी कर्मियों को निशाना बना रहे है। और ये बिलकुल ठीक नहीं है। आये दिन पुलिस वालों पर हमला , बिजली विभाग के कर्मचारियों पर हमला ,सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों पर हमला क्या ये ठीक है ? आज कर्मचारियों में जबरदस्त असुरक्षा का माहौल है।
सरकार को ये सोचना होगा कि सरकारी कर्मचारियों का मनोबल बढ़ा रहे उन्हें अहसास दिलाये की सरकार उन सभी ईमानदार कर्मियों के साथ है जो अपने काम को पूरी तन्मयता के साथ करते है । कोई भी लोकल नेता भाजपा का नाम लेकर किसी भी सरकारी कर्मचारी के साथ दुर्व्यहार करता है तो उसके ख़िलाफ़ प्रशासन को सख्त कदम उठाना चाहिए। सरकार के इस भरोसे से कर्मचारियों के मन सरकार के प्रति एक सम्मान होगा और वो शत प्रतिशत अपना काम में मन लगा पाएंगे।
सरकार को ये समझना होगा की सभी सरकारी कर्मचारी चोर नहीं होते , हाँ मैं मानता हूँ कि बहुत से कर्मचारी अपने काम को ठीक से नहीं करते। उनको पहचान कर कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए। और हाँ कार्यवाही का अधिकार सिर्फ सरक़ार का है ना की आम जनता का। कोई भी आम जनता को कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है और यदि कोई ऐसा करता है तो इन पर कठोर क़ानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए।
किसी भी सरकारी विभाग में यदि कोई कार्य ठीक से नहीं से नहीं हो रहा , इसके कारण का उचित विश्लेशण किया जाये तो आप निम्नलिखित कारण पाएंगे :
सरकार को ये सोचना होगा कि सरकारी कर्मचारियों का मनोबल बढ़ा रहे उन्हें अहसास दिलाये की सरकार उन सभी ईमानदार कर्मियों के साथ है जो अपने काम को पूरी तन्मयता के साथ करते है । कोई भी लोकल नेता भाजपा का नाम लेकर किसी भी सरकारी कर्मचारी के साथ दुर्व्यहार करता है तो उसके ख़िलाफ़ प्रशासन को सख्त कदम उठाना चाहिए। सरकार के इस भरोसे से कर्मचारियों के मन सरकार के प्रति एक सम्मान होगा और वो शत प्रतिशत अपना काम में मन लगा पाएंगे।
सरकार को ये समझना होगा की सभी सरकारी कर्मचारी चोर नहीं होते , हाँ मैं मानता हूँ कि बहुत से कर्मचारी अपने काम को ठीक से नहीं करते। उनको पहचान कर कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए। और हाँ कार्यवाही का अधिकार सिर्फ सरक़ार का है ना की आम जनता का। कोई भी आम जनता को कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है और यदि कोई ऐसा करता है तो इन पर कठोर क़ानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए।
किसी भी सरकारी विभाग में यदि कोई कार्य ठीक से नहीं से नहीं हो रहा , इसके कारण का उचित विश्लेशण किया जाये तो आप निम्नलिखित कारण पाएंगे :
- क़ानूनी अड़चने
- सम्बंधित विभाग के अपने नियम
- उपयुक्त संशाधनों व उपकरणों की कमी
- कर्मचारियों का अभाव
- राजनितिक बाधाये
- कार्य का बोझ
- राजनितिक अश्थिरता
- भ्र्ष्टाचार
- सत्ताधारी दल का ज्यादा प्रभाव
- आम लोगों में सब कुछ जल्दी कराने की चाह
जब तक उपर्युक्त बाधाओं पर सख्ती से काम नहीं होगा तब तक सरकारी कर्मियों को डरा-धमका कर काम नहीं कराया जा सकता है।
आज उत्तर प्रदेश में सरकारी कर्मचारी खास तौर पर वें जिनकी पब्लिक डीलिंग है (जैसे पुलिस ,डॉक्टर ,बिजली विभाग ,सिचाई विभाग ,समाज कल्याण ) वो भयानक प्रेशर में है। कोई भी लोकल नेता जिनकी सत्ता है ,आकर सरेआम धमकी देकर चला जाता है और ना केवल धमकी , मारपीट कर चला जाता है। और प्रशासन इन गुंडों पर कोई कार्यवाही नहीं करती यहाँ तक सत्ताधारी नेताओं के दबाव में FIR तक नहीं लिखी जा रही है। जिस प्रदेश में सरकारी आदमी की नहीं सुनी जा रही है वहाँ कर्मचारी किस मनोबल स्तिथि में काम करेंगे ? सारे कानून यदि सरकारी कर्मचारियों पर ही लागू होंगे और आम नागरिक का जो मन में आएगा वो करेंगे और उन पर कोई कार्यवाही भी नहीं होगी तो कर्मचारी कैसे काम करेंगे।
यहाँ मैं एक बात कहना चाहता हूँ कि यदि सरकारी कर्मचारी सही मायने में अपना काम ईमानदारी से करने लगे तो लोगों की शामत आ जाएगी। कुछ उदाहरण मैं आपको बताता हूँ :
आपका,
meranazriya.blog.spot.com
आज उत्तर प्रदेश में सरकारी कर्मचारी खास तौर पर वें जिनकी पब्लिक डीलिंग है (जैसे पुलिस ,डॉक्टर ,बिजली विभाग ,सिचाई विभाग ,समाज कल्याण ) वो भयानक प्रेशर में है। कोई भी लोकल नेता जिनकी सत्ता है ,आकर सरेआम धमकी देकर चला जाता है और ना केवल धमकी , मारपीट कर चला जाता है। और प्रशासन इन गुंडों पर कोई कार्यवाही नहीं करती यहाँ तक सत्ताधारी नेताओं के दबाव में FIR तक नहीं लिखी जा रही है। जिस प्रदेश में सरकारी आदमी की नहीं सुनी जा रही है वहाँ कर्मचारी किस मनोबल स्तिथि में काम करेंगे ? सारे कानून यदि सरकारी कर्मचारियों पर ही लागू होंगे और आम नागरिक का जो मन में आएगा वो करेंगे और उन पर कोई कार्यवाही भी नहीं होगी तो कर्मचारी कैसे काम करेंगे।
यहाँ मैं एक बात कहना चाहता हूँ कि यदि सरकारी कर्मचारी सही मायने में अपना काम ईमानदारी से करने लगे तो लोगों की शामत आ जाएगी। कुछ उदाहरण मैं आपको बताता हूँ :
- टेस्ट दिए बिना ड्राइविंग लाइसेंस ना देना
- सड़क के सारे नियमों को कठोरता से लागु कर देना
- बिजली चोरी पर सख्ती (बिजली काट देना )
- सरकारी अस्पतालों में बिना किसी फैसिलिटी के सारे टेस्ट करवाना
- थाने में हर घटना का FIR लॉज कर देना
मै ये नहीं कहता की सरकारी कर्मचारी अपना काम ईमानदारी से ना करें बल्कि मेरा ये कहना है की बिना सपोर्ट सिस्टम के कोई भी कर्मचारी कैसे अपना काम ठीक से करेगा। कुछ उदाहरण मै आपको बताता हूँ की सरकार और आम नागरिक का सरकारी कर्मचारियों से क्या उम्मीद करते है :
- बिना बिजली उत्पादन के सबको बिजली फ्री में मिले
- दो - चार पुलिस वाले लाखो लोगो को सड़क के नियम का पालन कराये
- बिना किसी उपकरण और दवाइयों के डॉक्टर सारे मरीजों को ठीक कर दे
- थानेदार के एरिया में कोई घटना ना हो और हो भी तो सत्ताधारी लोगों के खिलाफ FIR भी न हो
- बिना कोई टेस्ट दिए सबको लाइसेंस मिल जाये
अंत में मै योगी सरकार से ये कहना चाहता हूँ कि बड़ी उम्मीद से जनता ने आपको मुख्यमंत्री बनाया है। ये उम्मीदों का पहाड़ है, बहुत तेज़ चलेंगे तो गिर जायेगे। अपने उन्मादी कार्यकर्त्ताओ को सपा वाले गुंडे बनने से बचाइए तथा अपने और अपने सरकारी तंत्र को भरोषा दिलाइये की आप अच्छा करो सरकार आप के साथ है। तब जाकर कही आप मोदी जी और आम लोगों के सपनों को साकार करने में कामयाब होंगे। समस्याओं की जड़ में सिर्फ सरकारी कर्मचारी ही दोषी नहीं है बल्कि नेताओं का भी बहुत बड़ा हाथ है। सुधरना सबको पड़ेगा ,जिम्मेदारी सबकी है और हाँ अब बारी आपकी है। जिस दिन आपकी सरकार ने अपने टीम पर पूरा भरोषा दिखा दिया और ये एहसास करा दिया कि अच्छे काम करने वाले उनके विज़न का हिस्सा बनगे , प्रदेश को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता।
आपका,
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