कैरियर काउन्सलिंग

             कैरियर काउन्सलिंग

      हमारे देश के परिवारों में शिक्षा को लेकर काफ़ी असमंजस की स्थिति रहती है  I आजकल बच्चे जैसे थोडे बडे होते है उनके माता-पिता अपने अनुभव के आधार  उन्हे कैरियर चुनने की सलाह देते है I क्या आपने कभी गौर किया है कि अपने बच्चों को कैरियर चुनने में कितना सहयोग करते है और कैसे करते है ? हम भारतीय पैदाइशी अपने आपको एक्स्पर्ट मानते है I मुद्दा चाहे कोई भी हो आपको राह चलते एक्स्पर्ट लोगो की राय बिल्कुल फ्री में मिलती रहती है I शिक्षा के मामले में भी हम इन्ही तथाकथीत एक्स्पर्ट पर निर्भर रहते है I बिना सोचे समझे हम अपने बच्चों को अँधेरे में धकेल देते जब तक आपको इसकी जानकारी तब तक बहुत लेट हो चुका होता है I
         आपको आये दिन समाचार पत्रों , टीवी न्यूज में ये सुनने को मिलता है परीक्षा में फ़ेल होने से डिप्रेशन में कई छात्रों ने सुसाईड कर लिया I आजकल जिस तरह से स्कूल से बच्चों में जो प्रेशर क्रियेट किया जा रहा वो कही से जस्टिफ़ाईड नही है I बच्चो के माता -पिता ये समझ नही पा रहे है आखिर वो बच्चों से क्या कराना चाहते है I
      ये कठिन विषय को मै चुन तो लिया  लेकिन इसके बारे सोच कर मै अंदर से हिल जा रहा हुँ I कभी कभी मै सोचता हुँ  आजकल लोगों में इतनी हड़बडी क्यो है , क्यो इतना लोग सबकुछ जल्दी पा लेने की ज़िद में है , आखिर कहाँ जाना चाहते है लोग ? आजकल बच्चे के जन्म लेने पहले ही उसके कैरियर की चिंता में लोग लग जाते है I ऐसा भी क्या हड़बडी है भाई ? इसके जड़ में जब मै सोचता हुँ तो हमे ऐसा महसूस होता है कि माता-पिता बच्चो की  शिक्षा को लेकर बहुत ज्यादा अलर्ट है और असुरक्षित महसूस करते है I और इसके चक्कर में वो अपने बच्चों के उज्वल भविश्य को लेकर ज्यादा आशंकित रहते और उन्हे कोई भी सलाह देता अपने विवेकनुसार मान लेते है I
          इन्ही सब मुद्दों को ध्यान में रखते हुए आजकल "कैरियर काउन्सलिंग" एक नया कैरियर के रुप अपना पैर भारत में पसार रहा है I इस फिल्ड में एक्स्पर्ट वैज्ञानीक तरिके से विश्लेशण करके बच्चों को उसकी च्वाइस के अनुसार कैरियर बनाने की सलाह देता है I
         भारत में इसका प्रचलन अभी ज्यादा नही है I अभी भी हम बच्चों का कैरियर चुनने के लिये निम्न्लिखित पर निर्भर रहते है :
1) माता-पिता का अपना ज्ञान और अनुभव 2) स्कूल टीचर्स का फीड बैक के आधार पर
3) अपने आस -पास के सक्सेस स्टोरी सूनकर
4) अपने पड़ोशियों और रिश्तेदारों से चर्चा के आधार पर
5) थोडा बहुत बच्चों के इच्छा के आधार पर
             आज के इस आधुनिक युग में यदि हम इन्ही पारम्परिक तरिको पर निर्भर रहेगे तो ये बच्चों के हित में नही होगा I हम ऐसे बहुत सारे वैज्ञानीक तरिके उपलब्ध है जिनसे हम ये जान सकते है कि आपके बच्चे का IQ लेवल क्या है और उसे किस फिल्ड में रुचि है I हमे इन तरिकों का इस्तेमाल करना चाहिये और बच्चों को उनके रुचि के हिसाब से आगे बढने के लिये प्रेरीत करना चाहिये I

आपका,
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