कभी याद करके देखिए उन्हें,
फिर वही एहसास होगा,
अरसा बीत गया पर,
खयाल वही होगा,
यकीन ना हो तो,
आजमाकर देखिए,
थोड़ा रुक कर ,
ठहर कर को खो जाइए,
सपनों में एक बार बह जाइए,
आपका,
मेरा नज़रिया
क्षितिज, जल, पावक, गगन, समीर ये पंचतत्व से शरीर है इसी पंचतत्व की पूजा है (पानी मे रहकर आकाश की तरफ गर्दन किये हुए हाथ मे दीपक लेकर खुले ह...
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