क्यों उन्हे दर्द नही होता ,
हैवानियत की हदें लांघ जाते है,
वो वहशी लोग ,
सब कुछ भूलाकर ,
शैतान बन जाते है वो ,
कभी निर्भया तो कभी प्रद्युम्न ,
के रुप में शिकार हो रही है जान,
शर्म से झुक जाती है इंसानियत,
किसी ना किसी रुप में आते है ये शैतान,
आखिर क्यों उन्हे दर्द नही होता,
वो हमारे और आपके बिच के होते है ,
उन्हे पहचानना है मुश्किल ,
पर ऐसे कब तक गँवाते रहेंगे जान?
चुप रहकर सोया तो नही जा सकता ,
आज उनके साथ , तो कल आप के साथ भी हो सकता ,
आखिर क्यों उन्हे दर्द नही होता .
आपका,
मेरा नज़रीया
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