महफिल में मुस्कुराना मेरा मिजाज बन
गया,
तन्हाई में रोना भी एक राज बन गया,
दिल के जख्म को चेहरे से जाहिर न
होने दिया,
यही जिन्दगी में मेरे जीने का अंदाज
बन गया..
वो आंखें... वो आंखों में, चित्कार है कसक है, घर छुटने का ग़म है पराया होने का मरम है डर भी है, खौफ भी है वापस ना आने का दर्द है अपनों से ...
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