महफिल में मुस्कुराना मेरा मिजाज बन
गया,
तन्हाई में रोना भी एक राज बन गया,
दिल के जख्म को चेहरे से जाहिर न
होने दिया,
यही जिन्दगी में मेरे जीने का अंदाज
बन गया..
पुरे हफ्ते की आपाधापी के बाद रविवार का दिन इस आशा के साथ कि दिनभर आराम करूँगा। सावन का महीना चल रहा है। लगातार बारीश से पुरा शहर अस्त व्यस्त...
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