स्वच्छता - एक विचार
साफ़ -सफाई एक कार्य नहीं एक विचार है। गंदगी कहा से होती है इसे खोजा जाये तो आप पायेंगे कि इसके जड़ हम ही है। हम अपना घर तो साफ करते है लेकिन सार्वजनिक जगहों पे हम उतना ध्यान नहीं देते। सफाई के लिए सरकार हमें उपयुक्त साजो सामान दे सकती है लेकिन गंदगी ना इसके लिए हमें ही आगे आना होगा।
आज किसी भी कॉलोनी के सीढ़ियों पे,सरकारी आफिसों में ,बस स्टैंड ,रेलवे स्टेशनों पर पान का पीक दिखाई देना आम बात है। क्या इसके लिए सरकार दोषी है या हम ? सफाई के लिए मेरा एक मंत्र है कि गन्दा ही ना करो ,और हमेशा इसकी शुरुआत अपने आस -पड़ोस से करो। और अपने बच्चो को इसके लिए प्रेरित करो।
जबसे हमारे प्रधानमंत्री ने २ अक्टूबर को लोगो को सफाई के लिए "स्वच्छाग्रह" का ऐलान किया है इसमें कोई संदेह नहीं कि लोगों में जागरूकता आयी है। बहुत सारे स्वयंसेवी संस्थाए ,मीडिया ,विशिष्ट व्यक्ति ,राजनेता गण ,आम लोग सफाई के लिए आगे आये है। और ये सुखद बदलाव है। हमें ध्यान रखना होगा कि ये जोश सिर्फ दिन विशेष का न बनकर रह जाये। स्वच्छता को हमें आत्मसात करना होगा और अपने व्यवहार कमें बदलाव लाना होगा, तब जाकर हमारे प्रधानमंत्री का स्वच्छ भारत का सपना साकार होगा।
सफाई के लिए आम आदमी क्या करें :
- घर का कचड़ा निर्धारित जगह पर ही फेंके
- पान गुटका का सेवन ना करें
- सार्वजनिक स्थलों पर कचड़ा बॉक्स का प्रयोग करे
- खुले शौच ना करें , शौचालय का प्रयोग करें
- अपने घरो में सबको जागरूक करें
- कोई भी गंदगी फैलाते हुए दिखे तो उसे विनम्रता से रोके
सफाई के लिए सरकार क्या करें :
- कचड़ा प्रबंधन का वैज्ञानिक तरीका अपनाये
- सार्वजनिक स्थलों पर उचित मात्रा में डस्टबीन रखे
- सफाई लिए गाइड लाइन डिस्प्ले करे ,और ना मानने वालों से जुर्माना वसूल करे
- प्लास्टिक बैग के उत्पादन पर बैन लगाए
- तम्बाकू और गुटके को पूरी तरह से बैन करे
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