भारतीय मीडिया - पल पल बदलता सोच

भारतीय मीडिया - पल पल बदलता सोच 

                  
                       आज का भारतीय टीवी न्यूज़ चैनल, क्या वैसा ही है जैसा  १० साल पहले ? समाचार और उसके विश्लेषण का तरीका क्या वैसा ही है ? क्या आज न्यूज़ बनाई जाती है ? क्या मीडिया स्वतंत्र है आज ? क्या लोगो के इंटरेस्ट के  हिसाब से न्यूज़ दिखाई जाती है ? ऐसे  सवाल है हम सबके मन में है , इनका सभी सवालों  का जवाब है नहीं। तो क्या न्यूज़ एक बिज़नेस का ज़रिया है ? क्या न्यूज़ केवल टी आर पी का खेल है ? पहले नंबर पे आने की  होड़ में कही आज  पत्रकारिता खो सी गयी है। 

                    आज टीवी आन करते ही जबरदस्त लड़ाई का दौर शुरू हो जाता है , एंकर और तथाकथित विशेषज्ञ पुरे लय अपनी बात मनवाने की कोशिश कर रहे होते है और इन सबके बीच मुख्य मुद्दा कही खो जाता है। आज के तारीख में १०० से ज्यादा न्यूज़ चैनल है , कौन पहले नंबर पे है सब अपने ही बता देते है हम और केवल हम ही नंबर एक पर है। देखकर हँसी भी आती है और दुःख भी होता है। 

                   हर दूसरे दिन  एक नया मुद्दा , पिछले मुद्दे का क्या हुआ किसी को कोई मतलब नहीं है। कोई भी न्यूज़ चैनल ये नहीं बताता की, निर्मल बाबा का क्या हुआ , राधे माँ क्या कर रही है आजकल , कुछ ज्वलंत मुद्दे जैसे ओडिशा के मांझी का क्या हुआ। मुझे लगता है मीडिया का एक दौर होता है जैसे बाबाओ पे आक्रमण , बलात्कार की घटनाए  ,ओडिशा के मांझी की घटना की तरह पूरे  देश से वीडियो और फोटो लाने का दौर,और आजकल देशभक्ति का दौर। और कुछ नहीं मिलता तो नेताओ की एक लाइन पकड़के घंटो टाइम पास करना। 

अपने आप को नेशनल टीवी न्यूज़ चैनल बताने वाले लोगो को ये समझना होगा की नेशनल का मतलब सिर्फ देल्ही नहीं होता और न्यूज़ का मतलब सिर्फ राजनितिक कमेंट नहीं होता। हमारा देश बहुत बड़ा है कभी जाके केरला ,त्रिपुरा ,सिक्किम ,आसाम ,ओडिशा ,नागालैंड ,मणिपुर ,चेन्नई के उन आम लोगो का न्यूज़ दिखाओ जो हमसे कटे हुए है। 

              आज का माहौल ऐसा है कि किसी दिन बलात्कार के नाम पर पूरे  देश में रोष होता तो अगले ही दिन क्रिकेट मैच जीतकर खुशियां मनाने हम रोड पे होते हैं , ओडिशा के मांझी की घटना देखकर हम दुखी हो जाते है और अगले ही पल हाथी घोड़ा पालकी जय कनैहया लाल की शुरू हो जाता है। मुझे ये नहीं समझ आता की कौन सा  इमोशन कितनी देर साथ रखू। 

           अभी आजकल सारे न्यूज़ चैंनल देश में देशभक्ति जगाने के काम पे लगे हुए कुछ दिन चलेगा ये सब जब तक की कोई और मुद्दा नहीं मिल जाता। मैं ये नहीं कहता की ये सब गलत है लेकिन एक जिम्मेदार न्यूज़ चैनल की तरह किसी मुद्दे को उसके अंजाम तक पहुचाने की कोशिश तो करो बताओ तो सही जिन मुद्दों के बारे सरकार ने जो वादा किया वो पूरा किया की नहीं। 


आपका ,
जायसवाल "नज़रिया "
meranazriya.blogspot.com 
jais_ravi29@rediffmail.com
jaiswalravindra29@gmail.com


No comments:

Post a Comment

बदलाव..

रिसोर्ट मे विवाह...  नई सामाजिक बीमारी, कुछ समय पहले तक शहर के अंदर मैरिज हॉल मैं शादियाँ होने की परंपरा चली परंतु वह दौर भी अब समाप्ति की ओ...